कजरी तीज पर भूलकर भी न करें ये काम, वरना व्रत का असर हो जाएगा कम

हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में तीन प्रमुख तीज पर्व मनाए जाते हैं, हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज। इनमें से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आने वाली तीज को कजरी तीज कहा जाता है।

इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। मान्यता है कि विवाहित महिलाएं इसे पति की लंबी उम्र और दांपत्य जीवन की सुख-समृद्धि के लिए करती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं अच्छे और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु इस व्रत का पालन करती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है।

इस वर्ष कजरी तीज की तिथि

भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष तृतीया तिथि पर मनाया जाने वाला यह पावन पर्व इस बार 12 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रखकर शिव-पार्वती की आराधना करेंगी और रात्रि में व्रत कथा का श्रवण या पाठ करेंगी।

कजरी तीज में क्या करें और क्या न करें

कजरी तीज के दिन झूला झूलना शुभ माना जाता है, मान्यता है कि बिना झूला झूले व्रत अधूरा रहता है। इस दिन सफेद और काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए और दिन में सोना वर्जित है। व्रत के दौरान गुस्सा, नकारात्मक सोच और अशुभ कार्यों से दूरी बनाए रखना आवश्यक है।

व्रत के दिन नाखून और बाल काटना, बाल धोना और झाड़ू लगाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि इससे घर में कलह और आर्थिक संकट की संभावना बढ़ती है। कजरी तीज का व्रत निर्जला होता है, यानी इसमें न अन्न और न ही जल का सेवन किया जाता है।

व्रत कथा और दान का महत्व

कजरी तीज पर व्रत कथा का श्रवण या पाठ करना अनिवार्य है, क्योंकि बिना कथा के व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता। व्रत पारण से पहले दान करना और पारण के बाद 3 या 5 कन्याओं को भोजन कराना शुभ माना जाता है। यह न केवल व्रत की पूर्णता का प्रतीक है, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने वाला भी माना जाता है।