मानसूनी सीजन को करीब ढाई महीना बीतने को है। मध्यप्रदेश में अब तक औसत 29.3 इंच बारिश हो चुकी है, जो कोटे की 79 प्रतिशत है। ग्वालियर समेत 10 जिलों में बारिश का कोटा पूरा हो चुका है, जबकि इंदौर संभाग के 8 में से 6 जिलों में सूखे जैसी स्थिति है। उज्जैन संभाग भी पिछड़ा है। दूसरी ओर, ग्वालियर, जबलपुर संभाग की तस्वीर सबसे बेहतर है। भोपाल में आधी से ज्यादा बारिश हो चुकी है। लेकिन इंदौर में इस बार बारिश को देखकर सूखे जैसे हालात लग रह है जिसके चलते शहवासियों के चेहर पर चिंता की लकीरे दिखने लगी है।
पिछले सालों की तुलना में हालात बदतर
अगर पिछले वर्षों की बात करें तो जुलाई में कभी-कभी रिकॉर्ड तोड़ बारिश भी हुई है। वर्ष 2013 में 22 इंच से अधिक वर्षा दर्ज की गई थी। वहीं 2023 में जुलाई में कुल 18 इंच बारिश हुई थी और महीने के 27 दिन वर्षा दर्ज की गई थी। पिछले साल जुलाई के 25 दिनों में बारिश हुई, जिनमें से चार दिन आधे से ढाई इंच तक बारिश दर्ज की गई थी, लेकिन कुल मिलाकर सिर्फ 10 इंच वर्षा हो पाई थी। इस बार स्थिति उससे भी अधिक चिंताजनक होती दिख रही है। अगस्त का आधा माह बीतने को है लेकिन बारिश के आसार नजर नहीं आ रहे है।
पूर्वी मध्यप्रदेश में रहा स्ट्रॉग सिस्टम
एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी, जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। यहां बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहे। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई। इसके अलावा ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। इस वजह से 10 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर गया। इनमें ग्वालियर-चंबल संभाग के 8 में से 6 जिलों में कोटा पूरा हो चुका है। 4 जिले सागर और भोपाल संभाग के है।
बता दें कि प्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 29.3 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 22.5 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 6.8 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। मौसम विभाग ने अबकी बार सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान जताया है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। लेकिन इस बार इंदौर संभाग में तेज बारिश ना होने से कुएँ बावड़ी का स्तर भी नीचे ही है। बारिश ना होने से अब इंदौर शहर में एक बार फिर से तेज गर्मी और उमस का माहौल देखा जा रहा है। इस बार इंदौर और उज्जैन संभाग में सिस्टम की एक्टिविटी कम देखने को मिलीं। इस वजह से दोनों संभाग के 15 में से 9 जिलों में कोटे की आधी बारिश भी नहीं हुई है।
कई जिलों में 40 इंच पार
गुना, रायसेन, मंडला, शिवपुरी, अशोकनगर, छतरपुर, टीकमगढ़, निवाड़ी और श्योपुर ऐसे जिले है जहां पर 40 इंच से अधिक बारिश हो चुकी है। इसी तरह 30 इंच से ज्यादा बारिश नर्मदापुरम, सिंगरौली, सीधी, रीवा, पन्ना, सागर, ग्वालियर, डिंडौरी, बालाघाट, नरसिंहपुर, राजगढ़ और विदिशा जिलों में हो चुकी है। इसके साथ ही 20 से 30 इंच के मध्य में भोपाल, सीहोर, अलीराजपुर, झाबुआ, कटनी, छिंदवाड़ा, सिवनी, दतिया, दमोह, रतलाम, नीमच, भिंड, मुरैना, हरदा, बैतूल, शहडोल और अनूपपुर जिले में बारिश हो चुकी है।
लेकिन इस बार इंदौर संभाग में 10 से 19 इंच बारिश ही हुई है। जिसमें इंदौर जिले में मात्र 11 इंच ही बारिश दर्ज की गई है। इसके साथ ही इंदौर, धार, बड़वानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, उज्जैन, देवास, शाजापुर, मंदसौर और आगर-मालवा इस बार मानसुन में पिछड़ गई है जिससे इन जिलों में अब सुखे का खतरा मंडराने लगा है।
मध्यप्रदेश में कैसा रहेगा यह सप्ताह
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, 13 अगस्त से नया सिस्टम एक्टिव हो रहा है। जिसकी एक्टिविटी प्रदेश में भी देखने को मिलेगी। इससे एक बार फिर से प्रदेश में तेज बारिश का दौर शुरू हो सकता है। इसके साथ ही अब इंदौर जिले के लोग बारिश का बेसब्री से इंतजार करने लगे है।