एक शब्द के अर्थ का अनर्थ हो जाता है यह कहावत तो हमने कई बार सुनी है लेकिन जब ऐसी ही एक घटना सामने आई तो सभी चौंक गए। मामला ऐसा है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक टाइपिंग की गलती से जमानत के मामले में उलटफेर हो गया। वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में आरोपियों के नाम बदल गए जिससे गलत आदमी को जमानत मिल गई। जब तक गलती पकड़ी गई वकील बेल बांड जमा कर चुके थे। हालांकि कोर्ट ने तत्काल कार्रवाई करते हुए गलती सुधारी और नया आदेश जारी किया।
आदेश में बदल गए थे नाम
दरअसल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक छोटी सी टाइपिंग एरर ने जमानत के पूरे खेल को ही पलट कर रख दिया। कोर्ट वेसबाइट पर अपलोड किए आदेश में जिस आरोपी की जमानत अर्जी खारिज हुई थी और दूसरे आरोपी, जिसकी जमानत अर्जी मंजूर की गई, उनके नाम आपस में बदल गए।
पिता- पुत्र ही थे आरोपी
जमानत अर्जी दाखिल करने वाले कोई और नहीं बल्कि हत्या के शक में गिरफ्तार पिता-पुत्र थे। जिन्हें पिछले साल 5 जुलाई को विदिशा के त्योंदा में दुकानदार प्रकाश पाल की पीट-पीटकर हत्या करने के शक में गिरफ्तार किया गया था। जिसमें पिता को जमानत मिली थी
कोर्ट में मच गई हलचल
जब तक यह गड़बड़ी पकड़ी गई, हल्के के वकील अमीन खान वेबसाइट पर दी गई गलत जानकारी के आधार पर बेल बांड जमा कर चुके थे। हल्के को रिहा करने का आदेश जेल अधिकारियों को भी जारी कर दिया गया था। लेकिन हल्के की ये खुशी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई क्योंकि अदालत के कर्मचारियों ने उनके वकील को बताया कि आदेश में गड़बड़ी है।
कोर्ट सुधारी गलती, जारी किया नया आदेश
गड़बड़ी का पता लगने के कुछ ही घंटे बाद, ग्वालियर पीठ के जज राजेश कुमार गुप्ता ने गलत छपे आदेश को वापस ले लिया, जिसमें जिनमें हल्के को जमानत पर रिहा करने और उनके बेटे अशोक को जेल में रखने का जिक्र था। दोबारा सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ कि टाइपिंग की गलती के कारण यह गड़बड़ी हुई थी। गलती को सुधारते हुए कोर्ट ने नया आदेश जारी किया।