Hindu fasting: भारतीय संस्कृति में व्रत या उपवास केवल भोजन से परहेज करने का नाम नहीं है, बल्कि यह तन और मन को शुद्ध करने की एक सुंदर साधना है। व्रत के दौरान हम खास तरह के हल्के और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं, जैसे फल, दूध, मेवे या मिठाई, लेकिन गेहूं, चावल और साधारण नमक जैसी चीजों से दूरी बनाते हैं।
कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि जब मीठा खा सकते हैं, तो अन्न और नमक क्यों नहीं? इसके पीछे के धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण काफी रोचक हैं। आइए इसे सरल भाषा में जानते हैं।
आध्यात्मिक कारण : भोजन के गुण और मन की स्थिति
हिंदू दर्शन में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है – तामसिक, राजसिक और सात्विक।
तामसिक भोजन : प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा और बासी खाना तामसिक माना जाता है। यह मन में आलस्य, क्रोध और नकारात्मक भावनाएं पैदा करता है, इसलिए व्रत में इसे पूरी तरह छोड़ दिया जाता है।
राजसिक भोजन : मसालेदार, तला-भुना और अधिक नमकीन खाना मन को चंचल और बेचैन करता है। यह शरीर में उत्तेजना बढ़ाता है, जिससे ध्यान और साधना कठिन हो जाती है।
सात्विक भोजन : फल, दूध, दही, मेवे, साबूदाना जैसे हल्के खाद्य पदार्थ मन को शांत, स्थिर और सकारात्मक बनाते हैं। यही कारण है कि व्रत में इन्हीं का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
व्रत का असली उद्देश्य मन को स्थिर करके ईश्वर का ध्यान करना है। अन्न और साधारण नमक राजसिक और तामसिक गुणों से युक्त माने गए हैं, इसलिए इनसे दूरी बनाए रखना मन की एकाग्रता के लिए बेहतर माना जाता है।
इंद्रियों पर नियंत्रण : आत्मसंयम का अभ्यास
व्रत केवल पेट की भूख को नियंत्रित करने का साधन नहीं है, बल्कि यह हमारी इच्छाओं पर संयम सिखाता है। अन्न और नमक हमारी भौतिक भूख और स्वाद की लालसा को बढ़ाते हैं। जब हम इनसे परहेज करते हैं, तो शरीर और मन दोनों पर नियंत्रण रखना आसान हो जाता है। यह साधना हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाती है और आत्म-अनुशासन की आदत डालती है।
वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
पाचन तंत्र को आराम : अन्न को पचाने में शरीर को ज्यादा ऊर्जा लगती है। व्रत में अन्न न लेने से यह ऊर्जा शरीर की मरम्मत और विषैले तत्वों को बाहर निकालने में लगती है, जिससे पाचन तंत्र को आराम मिलता है।
नमक और जल का संतुलन : साधारण नमक शरीर में पानी को रोककर रखता है, जिससे प्यास ज्यादा लगती है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। व्रत में नमक कम करने से शरीर में जल का संतुलन बना रहता है और अनावश्यक उत्तेजना भी कम होती है।
मीठा और फलाहार क्यों?
फल, दूध, मेवे और प्राकृतिक मिठास शरीर को तुरंत ऊर्जा देते हैं, लेकिन यह ऊर्जा सात्विक होती है। यह ध्यान, जप और पूजा में सहायक होती है और मन को प्रसन्न बनाए रखती है। वहीं अन्न और साधारण नमक साधना में बाधा डाल सकते हैं।
क्या खाएं, क्या न खाएं?
- खाएं :फल, दूध, दही, पनीर, साबूदाना, कुट्टू या सिंघाड़े का आटा, मखाना, मेवे, आलू, शकरकंद।
- न खाएं : गेहूं, चावल, दालें, साधारण नमक, प्याज, लहसुन और तेज मसाले।
- सेंधा नमक का उपयोग : व्रत में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक लिया जाता है। यह प्राकृतिक और शुद्ध होता है और शरीर में जल का संतुलन बनाए रखता है।
Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।