सिंहस्थ 2028 की तैयारियों को मिली रफ्तार, ऐतिहासिक और पौराणिक मंदिरों के विकास पर जोर

सिंहस्थ मेला अधिकारी आशीष सिंह ने गुरुवार को उज्जैन में सिंहस्थ-2028 की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक की। उन्होंने बताया कि 84 महादेव मंदिरों का विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, इसलिए इनके विकास के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जाए। इसके अलावा, अष्ट भैरव मंदिरों के संवर्धन और शिप्रा नदी पर होने वाली आरती को और अधिक भव्य बनाने की दिशा में भी योजनाएं बनाने के निर्देश दिए।

निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और समयबद्धता पर जोर

बैठक में आशीष सिंह ने कहा कि सिंहस्थ से जुड़े निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता न हो। सभी कार्यों की नियमित मॉनिटरिंग हो और समयसीमा के भीतर इन्हें पूरा किया जाए। यदि किसी कार्य में देरी हो रही है तो तुरंत कलेक्टर को सूचित किया जाए ताकि समाधान निकाला जा सके। कलेक्टर रौशन कुमार सिंह ने जानकारी दी कि कई निर्माण कार्य प्रगति पर हैं और जो प्रोजेक्ट हाल ही में स्वीकृत हुए हैं, उनकी टेंडरिंग प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

फुट ओवर ब्रिज और सड़क निर्माण योजनाएं

कलेक्टर ने बताया कि रेलवे मुख्य स्टेशन के दोनों छोर पर फुट ओवर ब्रिज बनाने की योजना है। इसके अलावा, नई खेड़ी, पंवासा और चिंतामण रेलवे स्टेशनों के पहुंच मार्ग विकसित किए जाएंगे। शनि मंदिर से श्री चिंतामन गणेश मंदिर तक 5 किलोमीटर लंबे फोर लेन रोड की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार की जा रही है। साथ ही, मां शिप्रा नदी से महाकाल मंदिर तक जाने वाले मार्गों का चौड़ीकरण कर उन्हें अधिक आकर्षक बनाने पर भी चर्चा हुई।

लैंड पूलिंग योजना पर विवाद

सिंहस्थ-2028 के लिए उज्जैन में प्रस्तावित लैंड पूलिंग योजना को लेकर किसान संघर्ष समिति ने कड़ा विरोध जताया है। समिति का कहना है कि यह योजना किसानों के लिए दमनकारी है और उनके हितों के खिलाफ है। उनका आरोप है कि सिंहस्थ महाकुंभ तो 12 साल में एक बार होता है, लेकिन इस योजना से किसानों की स्थायी आजीविका छिन जाएगी। अनुमान है कि करीब 5,000 किसान सीधे प्रभावित होंगे और 35 से 40 हजार आश्रितों की रोजी-रोटी पर संकट आ जाएगा।

आर्थिक नुकसान और अपव्यय का आरोप

किसान संघर्ष समिति ने दावा किया कि लैंड पूलिंग योजना से लगभग 23,000 करोड़ रुपये का अपव्यय होगा। उनका कहना है कि उज्जैन विकास प्राधिकरण की यह योजना किसानों को उनकी जमीन से वंचित करने के साथ-साथ कृषि पर आधारित स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी कमजोर कर देगी। किसानों ने प्रशासन से इस योजना को रद्द करने की मांग की है।