आयकर रिटर्न (ITR) फाइल करना हर टैक्सपेयर की कानूनी और वित्तीय जिम्मेदारी है। इससे मिलने वाला रिफंड अक्सर राहत और खुशी लेकर आता है। लेकिन जब महीनों बीत जाने के बाद भी रिफंड खाते में नहीं आता, तो यह चिंता और परेशानी का कारण बन जाता है।
यदि आपने असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए समय पर ITR दाखिल किया है और अब तक रिफंड नहीं मिला है, तो इसके पीछे कुछ आम लेकिन बेहद अहम वजहें हो सकती हैं।
ई-वेरिफिकेशन न करना
सिर्फ ITR भरना ही काफी नहीं है, जब तक आप उसे ई-वेरिफाई नहीं करते, आयकर विभाग उसकी प्रोसेस शुरू नहीं करता। ई-वेरिफिकेशन, आपके रिटर्न को आधिकारिक रूप से मान्यता देने का कदम है। इसके बिना रिफंड प्रक्रिया का आरंभ ही नहीं होता।
आधार-पैन लिंकिंग में गड़बड़ी
पैन कार्ड और आधार कार्ड की लिंकिंग ITR प्रोसेस का अनिवार्य हिस्सा है। यदि दोनों दस्तावेजों में नाम, जन्मतिथि या अन्य डिटेल में कोई अंतर है, तो लिंकिंग पूरी नहीं हो पाएगी। लिंकिंग न होने पर आपका रिफंड भी अटक सकता है। इसलिए पहले सुनिश्चित करें कि आपका आधार और पैन सही तरीके से लिंक और अपडेटेड हों।
दस्तावेजों में जानकारी का मेल न होना
फॉर्म 26AS, फॉर्म 16 और वार्षिक सूचना विवरण (AIS) में दी गई जानकारी का आपके ITR से मेल खाना जरूरी है। यदि इनमें किसी भी प्रकार का अंतर है, जैसे TDS एंट्री 26AS में दिख रही है लेकिन ITR में शामिल नहीं है—तो आयकर विभाग स्पष्टीकरण मांग सकता है और रिफंड रोक सकता है।
गलत दावे या अधूरी जानकारी
कुछ करदाता टैक्स बचाने के लिए कटौतियों या छूटों का दावा कर देते हैं, लेकिन उनके पास इसका प्रमाण नहीं होता। खासतौर पर बड़े रिफंड क्लेम पर विभाग अतिरिक्त जांच करता है। अगर जानकारी अधूरी या गलत पाई गई, तो रिफंड में देरी हो सकती है, या वह खारिज भी किया जा सकता है।
बैंक अकाउंट डिटेल में गलती
रिफंड सीधे आपके बैंक खाते में आता है, इसलिए उसका सही और वेरिफाई होना जरूरी है। यदि आपने गलत अकाउंट नंबर, IFSC कोड भरा है, या आपका खाता आयकर पोर्टल पर वेरिफाई नहीं है, तो रिफंड अटक सकता है। ध्यान दें कि केवल आपके नाम पर मौजूद और वेरिफाई खाता ही मान्य होता है।