राजनीति हो या कोई अन्य क्षेत्र, अनुभव और मेहनत के साथ शिक्षा का महत्व हमेशा बना रहता है। यही शिक्षा किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व को आकार देती है और नेतृत्व की क्षमता को मजबूत करती है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं सी. पी. राधाकृष्णन, जिन्हें बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भारत के उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद यह चुनाव 9 सितंबर 2025 को होने वाला है।
शुरुआती जीवन और शिक्षा
तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में जन्मे सी. पी. राधाकृष्णन कोंगु वेल्लाला गौंडर समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। बचपन से ही वे पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी रुचि रखते थे। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा वी. ओ. चिदंबरम कॉलेज, तूतीकोरिन से पूरी की, जहां से उन्होंने बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (BBA) की डिग्री हासिल की। शिक्षा ने न सिर्फ उनके ज्ञान को बढ़ाया बल्कि उन्हें प्रबंधन और संगठन की गहरी समझ भी दी।
खेलों में भी अव्वल
राधाकृष्णन केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रहे। कॉलेज जीवन में उन्होंने टेबल टेनिस चैंपियन बनकर यह साबित कर दिया कि वे खेलों में भी उतने ही उत्कृष्ट हैं। खेलों से मिली प्रतिस्पर्धा की भावना और अनुशासन ने उन्हें आगे चलकर राजनीति में चुनौतियों का सामना करने का आत्मविश्वास दिया।
शिक्षा से मिली संगठनात्मक समझ
BBA जैसी प्रबंधन की डिग्री ने राधाकृष्णन को यह सिखाया कि संसाधनों का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए और किसी टीम को एक लक्ष्य की ओर किस तरह प्रेरित किया जा सकता है। यही प्रबंधन कौशल उनके राजनीतिक जीवन में सबसे बड़ी ताकत बनकर सामने आया। विभिन्न पदों और जिम्मेदारियों को निभाने में उनकी यह शिक्षा उनके लिए वरदान साबित हुई।
आरएसएस और जनसंघ से जुड़ाव
सिर्फ 17 वर्ष की आयु में उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बाद में भारतीय जनसंघ से जुड़कर राजनीति की ओर कदम बढ़ाया। 1974 में वे जनसंघ की राज्य कार्यकारी समिति के सदस्य चुने गए। यह उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत थी जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया।
राजनीतिक करियर की उपलब्धियां
राधाकृष्णन ने अपने लंबे राजनीतिक सफर में कई महत्वपूर्ण पड़ाव पार किए।
• 1998 और 1999 में वे कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए।
• 2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने।
• 2004 से 2007 तक वे तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष रहे और इस दौरान 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा निकाली।
• 2016 में उन्हें कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, जहां उनके कार्यकाल में रिकॉर्ड स्तर पर निर्यात बढ़ा।
• इसके अलावा वे केरल में बीजेपी के प्रभारी, और बाद में झारखंड तथा महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में भी जिम्मेदारी निभा चुके हैं।
शिक्षा और अनुभव से बना मजबूत नेतृत्व
राधाकृष्णन की शिक्षा ने उन्हें हर पद पर काम करने के लिए दूरदृष्टि और संतुलन दिया। संगठन चलाने का अनुभव और प्रशासनिक कौशल उनकी सबसे बड़ी ताकत बने। वे जहां भी रहे, वहां प्रबंधन, योजना और टीमवर्क के जरिए सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते रहे।
प्रेरणादायी जीवन यात्रा
सी. पी. राधाकृष्णन का जीवन यह संदेश देता है कि शिक्षा केवल डिग्री हासिल करने का साधन नहीं होती, बल्कि यह नेतृत्व क्षमता, सोच और आत्मविश्वास को भी जन्म देती है। आज जब वे उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बने हैं, तो यह साफ है कि उनकी सफलता की नींव उनके ज्ञान, निरंतर सीखने की प्रवृत्ति और अनुभव पर टिकी हुई है।