आज 19 अगस्त 2025 को भोपाल में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने वोट-चोरी से जुड़ी बढ़ती चिंताओं पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पारदर्शिता बहाल करने की माँग रखी। प्रेस वार्ता में डेटाबेस-आधारित ग्राफ़िक्स, सरकारी आदेश/नियमों के स्कैन और 27 विधानसभा क्षेत्रों की एक तालिका पेश की गई। जहाँ INC के उम्मीदवार बहुत ही मामूली अंतर से हार गये पर मतदाता-वृद्धि उस अंतर से कहीं अधिक थी, जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है की BJP को अनैतिक लाभ देने के लिए ऐसा किया गया।
- डेटा-आधारित निष्कर्ष
- 05 जनवरी — 02 अगस्त (≈7 महीने) के दौरान मतदाताओं में लगभग 64 लाख की वृद्धि दर्ज हुई।
- 02 अगस्त — 04 अक्टूबर (≈2 महीने) में मतदाताओं में 05 लाख की वृद्धि दर्ज हुई — यानी प्रतिदिन ≈26,000 मतदाता जोड़े जा रहे थे।
- ECI का आदेश — 9 जून 2023
- नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार द्वारा बताया गया कि 9 जून 2023 को भारत निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, मिज़ोरम, राजस्थान और तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को निर्देश दिया कि 1 जनवरी 2023 — 30 जून 2023 के बीच हुए जोड़-घटाव और संशोधनों को वेबसाइट पर प्रकाशित न किया जाए और न ही किसी के साथ साझा किया जाए।
- आदेश का विस्तार — राष्ट्रीय दायरा
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि यह निर्देश उसी दिन पूरे देश के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों पर लागू कर दिया गया।
- 2 दिसंबर 2022 का निर्देश — नकली/डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ
- मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के 2 दिसंबर 2022 के आदेश के अनुसार जिलों को 8,51,564 (PSE और DSE) नकली/डुप्लीकेट प्रविष्टियाँ हटाने के निर्देश दिये गये थे।
- किसी भी जिला अधिकारी ने हटाने की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की; RTI के माध्यम से भी सम्बन्धित डेटा उपलब्ध नहीं कराया गया।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि ‘गरुड़ा ऐप’ का स्रोत-डेटा RTI में मांगने के बावजूद छिपाया गया है।
- नियम 32 — रिकॉर्ड्स का संरक्षण (Registration of Electors Rules, 1960)
- नियम 32 के तहत ERO द्वारा मतदाता सूची और उससे जुड़े दस्तावेज़ न्यूनतम 3 वर्ष तक संरक्षित रखने अनिवार्यता है।
- रिकॉर्ड का नष्ट करना या छुपाया जाना नियमों के विरुद्ध है |
- 27 विधानसभा क्षेत्रों की तालिका — असंगति
- प्रस्तुतीकरण में वे 27 निर्वाचन क्षेत्र दिखाये गये जहाँ INC के उम्मीदवार बहुत कम मतों के अंतर से हार गये।
- उन ही इलाकों में मतदाता-वृद्धि हार के मार्जिन से बहुत बड़ी पायी गई — इस असंगति पर आधारित नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि BJP को अनैतिक लाभ देने के लिए ऐसा किया गया।
- फ़ोटो का दोहरा पैमाना — ECI बनाम सरकारी योजनाएँ
- नेता प्रतिपक्ष श्री उमंग सिंघार ने कहा कि “चुनाव आयोग ऑनलाइन मतदाता सूची में फ़ोटो शामिल न करने के लिए ‘गोपनीयता’ और ‘फ़ाइल साइज’ का बहाना देता है। लेकिन जब सरकार अपनी योजनाओं का प्रचार करती है, तब लाभार्थियों के फ़ोटो और वीडियो बड़े-बड़े पब्लिक डोक्यूमेंट्स और विज्ञापनों में सार्वजनिक किए जाते हैं। सवाल यह है कि अगर वहाँ गोपनीयता का उल्लंघन नहीं होता, तो फिर पारदर्शिता के लिए मतदाता सूची में फ़ोटो क्यों नहीं जोड़े जाते?”
- CEO वेबसाइट का व्यवहार
- नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने साझा किया की जब मतदाता सूची की गड़बड़ी के आरोप उठते हैं, मध्यप्रदेश के CEO की वेबसाइट अचानक बंद दिखा देती है या “Website Under Maintenance” आ जाता है।
- क्या यह तकनीकी समस्या है या पारदर्शिता टालने की जानबूझकर कोशिश?
- आयोग की प्रतिक्रिया
- 17 अगस्त को दिल्ली में चुनाव आयोग की जो प्रेस वार्ता हुई, वह चुनाव आयोग की कम और भाजपा की ज़्यादा लग रही थी।
- आयोग का तर्क: मतदान-केंद्रों का CCTV फुटेज देने से मतदाता-प्राइवेसी प्रभावित होगी।
- सवाल उठाया गया कि यदि मतदान-साइट पर CCTV लगाये गये हैं, तो उसका सार्वजनिक या स्वतंत्र परीक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा — यह पारदर्शिता का सवाल है।
- “हाउस नंबर 0” के बहाने बिना पते वाले प्रविष्टियाँ दी जा रही हैं — क्या सरकारी लाभ/दस्तावेज़ सचमुच ‘House No. 0’ पर बनते हैं? प्रेस में कहा गया कि यह बहाना करोड़ों फर्जी प्रविष्टियाँ जोड़ने के लिए इस्तेमाल हुआ होगा।
- जब श्री राहुल गांधी ने गड़बड़ी का दावा रखा, आयोग ने शीघ्र जवाब देने के बजाय हलफ़नामा/माफ़ी माँगने की प्रक्रिया जोर देकर बतायी — जिसे नेता प्रतिपक्ष ने लोकतंत्र के लिए चिंताजनक बताया।
- मुख्य माँगे — प्रस्तुत की गयी मांगों का सार (Presented by Mr Umang Singhar)
- फ़ाइनल रोल को फ़्रीज़ किया जाए — अंतिम प्रकाशित रोल पर सभी राजनीतिक दलों के हस्ताक्षर लिये जायें और चुनाव पूरा होने तक किसी भी बदलाव पर रोक लगाई जाए।
- मशीन-रीडेबल फॉर्मैट में पूरा डेटा जारी हो — PDF-इमेज की जगह CSV/Excel उपलब्ध कराये जायें ताकि स्वतंत्र जाँच संभव हो।
- प्रत्येक प्रविष्टि के साथ फ़ोटो प्रकाशित हो — डुप्लीकेट, मृतक या फर्जी प्रविष्टियों की पहचान आसान हो।
- पूरा संशोधन-लॉग सार्वजनिक हो — Form 9, 10, 11 सहित हर संशोधन का समयबद्ध लॉग और PSE/DSE की सूची प्रकाशित की जाये।