भारतीय संस्कृति में तिलक लगाना सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं बल्कि आस्था और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। जब भी हम किसी शुभ कार्य, पूजा-पाठ या धार्मिक आयोजन में शामिल होते हैं, तो माथे पर तिलक लगाने की परंपरा निभाई जाती है। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि तिलक लगाने के बाद उस पर चावल यानी अक्षत क्यों लगाए जाते हैं? बहुत से लोग इसे सिर्फ परंपरा समझते हैं, जबकि इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व छिपा है।
चावल क्यों कहलाते हैं ‘अक्षत’?
हिंदू धर्म में चावल को ‘अक्षत’ कहा जाता है। अक्षत का अर्थ है “जो टूटा न हो”। यानी साबुत और पूर्ण। इसी वजह से पूजा-पाठ में हमेशा साबुत चावल का ही उपयोग किया जाता है। टूटा हुआ चावल अशुभ माना जाता है, जबकि अक्षत पूर्णता, स्थिरता और अखंडता का प्रतीक है।
माता लक्ष्मी का वास
शास्त्रों के अनुसार, चावल में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है। यही कारण है कि तिलक पर अक्षत लगाने का अर्थ होता है। देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करना। जब तिलक के साथ चावल लगाए जाते हैं, तो यह घर-परिवार में सुख, समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि का प्रतीक बनता है।
कार्य की पूर्णता का प्रतीक
किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत तिलक से की जाती है। जब तिलक पर अक्षत लगाए जाते हैं, तो यह उस कार्य की सफलता और पूर्णता का प्रतीक बन जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस विधि से कार्य सिद्धि सुनिश्चित होती है और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
तिलक और अक्षत का ज्योतिषीय संबंध
हिंदू मान्यता के अनुसार, हमारा ‘आज्ञा चक्र’ यानी माथे का बीच का भाग सबसे ज्यादा संवेदनशील और ऊर्जा केंद्रित स्थान होता है। जब तिलक लगाया जाता है तो वहां एक विशेष प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न होती है। उस पर चावल लगाने से यह ऊर्जा संचित रहती है और व्यक्ति को सकारात्मकता तथा मानसिक शांति का अनुभव होता है।
चावल की क्षमता होती है कि वह ऊर्जा को खींचकर अपने पास रखता है। इसलिए तिलक और अक्षत का संयोजन व्यक्ति की आभा को बढ़ाता है और उसे नकारात्मक शक्तियों से बचाता है।
समृद्धि और शुभता का प्रतीक
तिलक पर चावल लगाने का एक और बड़ा कारण है, समृद्धि की कामना। चावल को अन्न और जीवन का आधार माना जाता है। यह सिर्फ भोजन नहीं बल्कि समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है। जब हम तिलक पर चावल लगाते हैं तो यह संदेश देता है कि हमारे जीवन में कभी अन्न, धन और खुशियों की कमी न हो।
पवित्रता और श्रद्धा का भाव
पूजा-पाठ में चावल को शुद्ध और पवित्र माना जाता है। तिलक पर अक्षत लगाने का अर्थ है कि हम पूरे श्रद्धा भाव और शुद्ध मन से यह अनुष्ठान कर रहे हैं। यह तिलक की पवित्रता को और भी बढ़ा देता है।
Disclaimer : यह जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। स्वतंत्र समय इसकी प्रामाणिकता या वैज्ञानिक पुष्टि का समर्थन नहीं करता है।