गर्मी और बरसात का मौसम अक्सर बेहद परेशान करने वाला होता है। बाहर निकलते ही चिपचिपी उमस, तेज़ पसीना और थकान शरीर को बेहाल कर देती है। बहुत से लोग मानते हैं कि सिर्फ गर्मी ही डिहाइड्रेशन (पानी की कमी) का कारण बनती है, लेकिन सच्चाई यह है कि उमस भरे मौसम में भी शरीर उतना ही पानी खो देता है। फर्क बस इतना है कि इस दौरान पसीना जल्दी सूखता नहीं है और हमें देर से एहसास होता है कि शरीर में पानी कम हो रहा है। यही कारण है कि Humidity में डिहाइड्रेशन का खतरा और भी बढ़ जाता है।
क्यों बढ़ता है उमस में डिहाइड्रेशन?
डॉक्टर्स बताते हैं कि जब हवा में नमी ज्यादा होती है तो पसीना आने के बावजूद शरीर को ठंडक नहीं मिलती। सामान्य तौर पर पसीना वाष्पित (evaporate) होकर शरीर का तापमान संतुलित करता है। लेकिन उमस वाली हवा पहले से नमी से भरी होती है, इसलिए पसीना सूख नहीं पाता। शरीर से पसीने के जरिए सिर्फ पानी ही नहीं निकलता, बल्कि सोडियम और पोटैशियम जैसे अहम खनिज भी बाहर चले जाते हैं। यही कमी आगे चलकर डिहाइड्रेशन का मुख्य कारण बन जाती है।
शुरुआती संकेत जिन्हें नज़रअंदाज़ न करें
उमस भरे मौसम में शरीर कुछ छोटे-छोटे अलार्म देता है, जिन्हें पहचानना जरूरी है:
- लगातार थकान : चाहे आप ऑफिस में हों या घर पर, अगर पानी की कमी है तो एनर्जी लेवल गिरने लगता है।
- बार-बार सिर दर्द : इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी के कारण चक्कर आना या सिर दर्द होना आम है।
- गला और होंठ सूखना : बार-बार प्यास लगना, जीभ सूखना या गले में खराश डिहाइड्रेशन का संकेत हो सकता है।
गंभीर लक्षण कब दिखाई देते हैं?
अगर शरीर पानी बचाने की कोशिश कर रहा है तो सबसे पहले पेशाब का रंग गहरा पीला हो जाता है। इसके अलावा दिल की धड़कन तेज होना, मांसपेशियों में खिंचाव (cramps) और कमजोरी महसूस होना भी इस बात का इशारा है कि शरीर में पानी और मिनरल्स का संतुलन बिगड़ चुका है।
डिहाइड्रेशन से बचने के आसान उपाय
- प्यास का इंतजार न करें, हर 1-2 घंटे में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहें।
- नारियल पानी, नींबू पानी और ORS सबसे बेहतरीन विकल्प हैं क्योंकि ये सिर्फ पानी ही नहीं बल्कि इलेक्ट्रोलाइट्स भी पूरा करते हैं।
- घर से निकलते वक्त अपने साथ पानी की बोतल रखना कभी न भूलें।
- कैफीन और सॉफ्ट ड्रिंक्स से दूरी बनाएं क्योंकि ये शरीर से और ज्यादा पानी सोख लेते हैं।