कांग्रेस पार्टी के ‘वोट चोरी कैंपेन’ को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया है। अखिल भारत हिंदू महासभा से जुड़े एक सदस्य ने इस मामले में जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है। याचिका में सीधे तौर पर कांग्रेस, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और सांसद राहुल गांधी पर आरोप लगाए गए हैं।याचिकाकर्ता का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व चुनाव आयोग (ECI) के खिलाफ आधारहीन और असंवैधानिक प्रचार कर रहा है। उनका आरोप है कि बिना किसी ठोस सबूत और प्रमाण के चुनाव आयोग जैसे संवैधानिक संस्थान पर ‘वोट चोरी’ का झूठा नैरेटिव खड़ा किया जा रहा है, जो पूरी तरह से लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है।
चुनाव आयोग की साख पर हमला?
जनहित याचिका में दलील दी गई है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से चलाया जा रहा यह कैंपेन चुनाव आयोग की छवि को धूमिल करने और जनता के मन में भ्रम फैलाने के उद्देश्य से है। याचिकाकर्ता ने कहा कि निर्वाचन आयोग भारतीय लोकतंत्र की रीढ़ है और उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठाना सीधे-सीधे लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव को कमजोर करना है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस और उसके शीर्ष नेता जानबूझकर ऐसे बयानों और कैंपेन का सहारा ले रहे हैं, जिससे जनता का भरोसा चुनाव आयोग पर से उठे। इसे याचिकाकर्ता ने “सोची-समझी राजनीतिक रणनीति” और “संवैधानिक संस्थानों को कमजोर करने की साजिश” करार दिया है।
लोकतांत्रिक मूल्यों पर असर की चिंता
याचिका में कहा गया है कि इस तरह के “दुष्प्रचार” से देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर गहरा असर पड़ सकता है। यदि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल और उसके प्रमुख नेता ही बिना सबूत संवैधानिक संस्थानों पर अविश्वास जताने लगें, तो आम जनता का विश्वास भी प्रभावित होगा। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह न केवल चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करने का प्रयास है, बल्कि पूरे चुनावी तंत्र की पवित्रता को ठेस पहुँचाने वाला कदम है।
सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अहम
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुँच चुका है। कोर्ट इस बात पर विचार करेगा कि क्या कांग्रेस और उसके नेताओं के बयानों और कैंपेन को संवैधानिक संस्थाओं की गरिमा के खिलाफ माना जा सकता है। साथ ही, यह भी देखना होगा कि क्या इस तरह का प्रचार लोकतंत्र की नींव को हिलाने वाला साबित हो सकता है। कांग्रेस की ओर से इस PIL पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, माना जा रहा है कि पार्टी अपने कैंपेन को “जनता की आवाज़” और “लोकतांत्रिक अधिकार” कहकर पेश कर सकती है।