भोपाल के मध्य विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे लगा दिया है। दरअसल, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पिछले दिनों आदेश दिया था कि भोपाल के इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज मामले में तीन दिन के भीतर एफआईआर दर्ज की जाए और इसकी जांच एसआईटी को सौंपी जाए। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ मसूद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। जिसके बाद अब कॉलेज में पढ़ रहे छात्र नियमित पढ़ाई भी करते रहेंगे।
इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की मान्यता का है मामला
यह पूरा मामला इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की मान्यता से जुड़ा हुआ है। इसकी मान्यता के लिए विधायक ने जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। आरिफ मसूद उस सोसाइटी के सचिव हैं जो कॉलेज चलाती है। एमपी हाईकोर्ट के निर्देश पर विधायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ भी FIR दर्ज करने को कहा है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने 20 सालों तक मामले में साथ दिया और कॉलेज को चलने दिया। एमपी हाई कोर्ट की बेंच में जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल शामिल थे। उन्होंने ADGP (टेलीकॉम) संजीव शमी के नेतृत्व में SIT बनाने का भी आदेश दिया था।
उच्च न्यायालय ने दिए थे जांच का आदेश
डीजीपी कैलाश मकवाणा ने विधायक आरिफ मसूद के फर्जी दस्तावेजों के जरिए कॉलेज की मान्यता के मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया था। उच्च न्यायालय की डबल बेंच के निर्देश के बाद DGP कैलाश मकवाना ने SIT का गठन किया था। जिसमें संजीव शमी एडीजी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन हुआ था। जिसमें डी. कल्याण चक्रवर्ती डीआईजी छिंदवाड़ा रेंज और श्रीमती निमिशा पांडे एआईजी (प्रशिक्षण) पीएचक्यू भोपाल को शामिल किया गया था।