मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शुक्रवार को नई दिल्ली के दौरे पर थे। यहां आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में उन्होंने बड़ा ऐलान किया। सीएम ने कहा कि जिस तरह भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है, अब सरकार जल्द ही जबलपुर और ग्वालियर में भी मेट्रो चलाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। उनका कहना था कि प्रदेश के बड़े शहरों को आधुनिक परिवहन सुविधा से जोड़ना सरकार की प्राथमिकता है, ताकि लोगों को बेहतर और तेज यातायात सुविधा उपलब्ध हो सके।
सिंहस्थ 2028 की तैयारियों पर फोकस
कार्यक्रम के दौरान सीएम मोहन यादव ने उज्जैन में सिंहस्थ 2028 की तैयारियों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि अब तक उज्जैन में करीब 200 नए होटल खोले जा चुके हैं, जिससे आने वाले समय में करोड़ों श्रद्धालुओं को ठहरने और भोजन की बेहतर व्यवस्था मिल सकेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि महाकाल लोक बनने के बाद से हर साल सात करोड़ से अधिक श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए उज्जैन पहुंच रहे हैं, जिससे यहां की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान और मजबूत हुई है।
मेडिकल डिवाइस पार्क और नया लैंड बैंक
सीएम ने बताया कि उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए पहले से 1,000 एकड़ जमीन का उपयोग किया जा चुका है। अब राज्य सरकार यहां एक बार फिर से 1,000 एकड़ का नया लैंड बैंक तैयार करने जा रही है, ताकि आने वाले समय में निवेश और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके। इस कदम से उज्जैन ही नहीं बल्कि पूरे मालवा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलने की उम्मीद है।
मध्यप्रदेश बनेगा देश का ‘न्यू फूड बॉस्केट’
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार मध्यप्रदेश को भारत का मॉडल स्टेट बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश को देश का ‘न्यू फूड बॉस्केट’ बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस समय अनाज उत्पादन में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। आने वाले वर्षों में कृषि उत्पादन और खाद्य प्रसंस्करण को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए बड़े कदम उठाए जाएंगे।
सिंचाई और पेयजल सुविधाओं में बड़ा बदलाव
सीएम मोहन यादव ने यह भी बताया कि जब दो राष्ट्रीय “नदी जोड़ो परियोजनाएं” पूरी होंगी, तो प्रदेश के मालवा, बुंदेलखंड और चंबल क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पानी की उपलब्धता कई गुना बढ़ जाएगी। साथ ही, इन इलाकों में पेयजल की स्थाई और पर्याप्त सुविधा भी विकसित की जा सकेगी। इससे न केवल खेती को लाभ मिलेगा बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जल संकट की समस्या काफी हद तक समाप्त हो जाएगी।