उज्जैन में चलेगी षड्विनायक दर्शन यात्रा, दस दिवसीय गणेश पर्व से होगी शुरू

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर 27 अगस्त से दस दिवसीय गणेश पर्व की शुरु की शुरुआत होगी। भक्त घर, परिवार में सुख समृद्धि तथा विघ्नों के विनाश की कामना से भगवान गणेश की स्थापना कर पूजा अर्चना करेंगे। इस दौरान उज्जैन में षड्विनायक दर्शन यात्रा भी चलती है। मुख्यतः उज्जैन के रहने वाले लोग इस दौरान सभी षड्विनायक के दर्शन करेंगे। यह कोई एक साथ निकलने वाली यात्रा तो नहीं है लेकिन उज्जैन के रहने वाले इस यात्रा को मह्त्व देते हुए गणेश उत्सव के दौरान नित्य दर्शन करने जाते है।

विभिन्न कोणों में विराजित है षड्विनायक
गणेश उत्सव के इन दस दिनों में भक्त शहर के विभिन्न कोणों में विराजित षड्विनायक दर्शन यात्रा करेंगे। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर 27 अगस्त से दस दिवसीय गणेश पर्व की शुरुआत होगी। भक्त घर, परिवार में सुख समृद्धि तथा विघ्नों के विनाश की कामना से भगवान गणेश की स्थापना कर पूजा अर्चना करेंगे।

कार्यसिद्ध करते है भगवान गणेश
कार्यसिद्धि के लिए भगवान गणेश की पूजा अर्चना का क्रम त्रेता युग से चला आ रहा है। उस समय वनवास के दौरान उज्जैन आने पर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व सीता ने शहर में षड्विनायक की स्थापना की थी। मान्यता है भगवान श्रीराम, लक्ष्मण व सीता द्वारा स्थापित व पूजित इन छह गणेश के दर्शन करने मात्र से मनुष्य के सारे संकट समाप्त हो जाते हैं। आर्थिक, मांगलिक, पारिवारिक, व्यापार व्यवसाय तथा नौकरी संबंधित काम में आ रही बाधा समाप्त होती है।

दस दिन षड्विनायक के दर्शन पूजन का विधान
जिन युवक-युवतियों के विवाह आदि मांगलिक कार्य में व्यवधान उत्पन्न हो रहा हो, वह भी खत्म हो जाता है तथा भक्तों को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चतुर्दशी तिथि तक दस दिन षड्विनायक के दर्शन पूजन का विधान है। देशभर से भक्त इन दिनों में भगवान के दर्शन करने आते हैं।

उज्जैन में यहां विराजित है षड्विनायक
उज्जैन के अलग-अलग कोनों में विराजित षड्विनायक में चिंतामन गणेश  जो कि  शहर से 5 किमी दूर ग्राम चिंतामन में विराजे है वहां भक्तों का अत्यधिक तांता लगाता है। इसके साथ ही अविघ्न विनाय जो कि  खाकचौक पर खाकी अखाड़े के सामने विराजित है। इसके साथ ही दुर्वामुख गणेश जो कि श्री रामजनार्दन मंदिर के समीप विराजित है। इसके साथ ही स्थितरमन गणेश जो कि गढ़कालिका माता मंदिर के समीप विराजित है। इसके साथ ही मोदप्रिय गणेश जो कि हरसिद्धि मंदिर के पीछे गुरु अखाड़ के समीप विराजित है। इसके साथ ही लक्ष्मी प्रदाता गणेश जोकि महाकाल मंदिर में कोटितीर्थ कुंड के पास स्थित है जिनके दर्शन मात्र से ही सभी के कृष्ट दूर होते है।