Hartalika Teej: कल है हरतालिका तीज व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सही विधि

Hartalika Teej: हरतालिका तीज व्रत का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। यह व्रत विशेषकर सुहागिन महिलाएं करती हैं, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त हो। धार्मिक मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप और हरतालिका तीज का व्रत किया था। तभी से इस व्रत की परंपरा चली आ रही है। विवाहित महिलाएं अपने पति के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए इस व्रत को करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं सुयोग्य जीवनसाथी की कामना से यह व्रत रखती हैं।

तीज पर बन रहे हैं कई शुभ योग

इस बार हरतालिका तीज बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। सूर्योदय से लेकर दोपहर तक साध्य योग रहेगा, उसके बाद शुभ योग बनेगा जो अगले दिन तक चलेगा। इसके साथ ही पूरे दिन रवि योग का संयोग रहेगा। विशेष बात यह है कि गुरु और चंद्रमा के केंद्र में आने से गजकेसरी योग भी बन रहा है, जिसे बेहद मंगलकारी माना जाता है। मान्यता है कि इन शुभ योगों में पूजा-अर्चना करने से न केवल पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है बल्कि जीवन की सभी बाधाएं भी दूर होती हैं।

पूजा के शुभ मुहूर्त

हरतालिका तीज के दिन पूजा-अर्चना करने के लिए विशेष मुहूर्त निर्धारित किए गए हैं। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:27 से 5:12 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:57 से 12:48 तक होगा, वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 2:31 से 3:23 बजे तक है। गोधूलि मुहूर्त शाम 6:49 से 7:11 बजे तक और सायाह्न संध्या 6:49 से 7:56 बजे तक मान्य रहेगी। इसके अलावा निशिता मुहूर्त और अमृत काल भी इस रात उपलब्ध रहेंगे। खासकर हरतालिका पूजा का मुहूर्त प्रातःकाल 5:56 बजे से 8:31 बजे तक रहेगा। कुल मिलाकर पूजा का समय 2 घंटे 35 मिनट का होगा।

व्रत की विशेषता और पूजा विधि

हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है, यानी इस दौरान जल तक ग्रहण नहीं किया जाता। महिलाएं प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करती हैं और शिव-पार्वती मंदिर में जाकर श्रद्धापूर्वक पूजा करती हैं। भगवान शिव को शहद और जल अर्पित किया जाता है, वहीं माता पार्वती को चुनरी और श्रृंगार की वस्तुएं चढ़ाई जाती हैं। परंपरा के अनुसार 11 नवविवाहित महिलाओं को 16 श्रृंगार की सामग्री भेंट की जाती है और 5 वृद्ध सुहागिन महिलाओं को साड़ी और बिछिया दी जाती है।

विशेष भोग और प्रसाद

इस व्रत के दौरान मां पार्वती को गुड़ से बने 11 लड्डू अर्पित करने का विधान है। इसके साथ ही चावल की खीर बनाकर देवी को भोग लगाया जाता है। विशेष परंपरा यह है कि अगले दिन गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की स्थापना के बाद ही इन लड्डुओं को प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है। मान्यता है कि इस तरह पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और दांपत्य जीवन हमेशा खुशहाल बना रहता है।