इंदौर के महू छावनी में आयोजित दो दिवसीय रण संवाद-2025 में देश की सुरक्षा को लेकर कई अहम फैंसले लिए गए। इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिह सहित तीनों सेना प्रमुख शामिल हुए थे। यहां प्रमुख रक्षा अध्यक्ष सीडीएस ने रण संवाद में विशेष बलों के संचालन और एयरबोर्न एवं हेलीबोर्न अभियानों के लिए संयुक्त सिद्धांत जारी करने की बात कही।
क्या है एयरबोर्न –हेलीबोर्न अभियान
एयरबोर्न अभियानों में दुश्मन के इलाके में दुश्मन की हवाई या जमीनी सेना को पैराशूट से उतारा जाता है, जबकि हेलीबोर्न (Heliborne) अभियानों में सैनिकों और उपकरणों को हेलिकॉप्टर से दुश्मन के इलाके में उतारा जाता है, अक्सर हेलीकॉप्टर रस्सियों के सहारे नीचे उतरते हैं। ये अभियान दुश्मन को आश्चर्यचकित करने, महत्वपूर्ण ठिकानों पर तेजी से कब्जा करने या गहरी आग से कमजोर लक्ष्यों का फायदा उठाने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
पैराशुट से उतरते है सैनिक
सैनिकों को पैराशूट के माध्यम से दुश्मन के इलाके में उतारा जाता है। ये सैनिक दुश्मन के क्षेत्र के पीछे उतरकर महत्वपूर्ण ठिकानों जैसे पुल, रेलवे, या चौराहों पर कब्ज़ा करना और वहां तब तक बने रहना जब तक कि मदद न मिल जाए। पैराट्रूपर्स को किसी क्षेत्र में जल्दी से तैनात करने के लिए यह एक प्रभावी तरीका है, खासकर खराब बुनियादी ढाँचे वाले क्षेत्रों में यह तेजी से कार्य करते है।
रस्सियों के सहारे उतरते हैं सैनिक
हेलीबोर्न अभियान में सैनिकों और उपकरणों को सीधे हेलिकॉप्टरों से दुश्मन के इलाके में उतारा जाता है, जो अक्सर रस्सियों के सहारे उतरते हैं। हेलिकॉप्टरों की तेजी और गतिशीलता का उपयोग करके दुश्मन को आश्चर्यचकित करना और महत्वपूर्ण लक्ष्यों पर तेजी से हमला करना। यह ऑपरेशन रस्सियों के माध्यम से सैनिकों को सीधे जमीन पर उतारता है, जो विशेष रूप से गुप्त मिशनों या शहरी वातावरण में उपयोगी हो सकता है, जैसे कि आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में दोनों अभियानों के सामान्य लक्ष्य एक जैसे ही होते है। एयरबोर्न और हेलीबोर्न अभियान लचीले होते हैं और दुश्मन को आश्चर्यजनक प्रभाव प्रदान करते हैं।
तीनो सेनाध्यक्ष ने ऱखी अपनी बात
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने 27 अगस्त को मध्य प्रदेश के डॉ. अंबेडकर नगर स्थित आर्मी वॉर कॉलेज में आयोजित त्रि-सेवा सेमिनार ‘रण संवाद’ के दौरान विशेष बल और एयरबोर्न एवं हेलीबोर्न संचालन के लिए संयुक्त सिद्धांतों का विमोचन किया। कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और थल सेना उप प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल पुष्पेंद्र सिंह भी उपस्थित थे।
तीनों सेनाओं की रहेगी सक्रिय भागीदारी
तीनों सेनाओं की सक्रिय भागीदारी से एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय के डॉक्ट्रिन डायरेक्टरेट के तत्वावधान में तैयार किए गए ये सिद्धांत विशेष बल मिशनों और हवाई अभियानों के संचालन के लिए मार्गदर्शन, परिचालन अवधारणाओं और अंतर-संचालन ढांचे को निर्धारित करेंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने तीनों सेनाओं की पेशेवराना अंदाज, अनुकूलनीयता और परस्पर जुड़ाव को लेकर उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की तथा कहा कि ये सिद्धांत उभरते युद्धक्षेत्र में योजनाकारों, कमांडरों और ऑपरेटरों के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ के रूप में काम करेंगे।
तीनों सेनाओं का बढ़ेगा तालमेल
इन सिद्धांतों का प्रकाशन संयुक्त परिचालन क्षमता को बढ़ाने, सभी सेनाओं में तालमेल लाने और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सटीकता और दृढ़ता के साथ सामना करने की तत्परता सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।