व्रत और पूजा में क्यों नहीं खाते लहसुन-प्याज? जानें धार्मिक और आयुर्वेदिक रहस्य

भारतीय संस्कृति में भोजन सिर्फ भूख मिटाने का साधन नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को प्रभावित करने वाला तत्व माना गया है। इसलिए जब बात पूजा-पाठ और व्रत की आती है, तो आहार का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दौरान खासतौर पर सात्विक भोजन को श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह मन और आत्मा को शुद्ध बनाता है।

भोजन की तीन श्रेणियां

हिंदू शास्त्रों में भोजन को तीन श्रेणियों में बांटा गया है:

  • सात्विक आहार : शुद्ध और शांतिदायक, जो मन को स्थिर रखता है।
  • राजसिक आहार : उत्तेजना और इच्छाएं बढ़ाने वाला।
  • तामसिक आहार : आलस्य, क्रोध और नकारात्मक प्रवृत्तियों को बढ़ाने वाला।

पूजा और व्रत का उद्देश्य आत्मिक शांति और ईश्वर से जुड़ाव होता है। इसलिए ऐसे समय में तामसिक और राजसिक भोजन का परहेज करना जरूरी बताया गया है।

शाकाहारी होकर भी लहसुन-प्याज क्यों वर्जित?

सवाल अक्सर उठता है कि प्याज और लहसुन शाकाहारी होने के बावजूद व्रत या पूजा में क्यों नहीं खाए जाते? दरअसल, शास्त्रों के अनुसार इन्हें तामसिक माना गया है। ये शरीर की ऊर्जा को नीचे की ओर खींचते हैं और मन में चंचलता व वासना बढ़ाते हैं। पूजा या व्रत के समय साधना का उद्देश्य होता है, आत्मसंयम और एकाग्रता, जबकि प्याज-लहसुन इसका विपरीत प्रभाव डालते हैं।

पौराणिक कथा से जुड़ा रहस्य

समुद्र मंथन की कथा के अनुसार, जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए विवाद हुआ, तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अमृत वितरण किया। राहु-केतु धोखे से अमृत पीने लगे, लेकिन विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनका मस्तक काट दिया। कहा जाता है कि उनके रक्त की बूंदों से प्याज और लहसुन उत्पन्न हुए। इसी वजह से इन्हें अशुद्ध और तामसिक माना गया और धार्मिक अनुष्ठानों में वर्जित कर दिया गया।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार भी प्याज और लहसुन तीखे, उष्ण और उत्तेजक गुणों वाले होते हैं। ये इंद्रियों को अधिक सक्रिय करते हैं और क्रोध व कामवासना जैसी प्रवृत्तियों को बढ़ाते हैं। साधु-संत और योगी अपनी साधना के दौरान सात्विक आहार पर ही ध्यान देते हैं ताकि उनका मन स्थिर और शांत बना रहे।

व्रत का वास्तविक उद्देश्य

व्रत केवल भूखे रहने का नाम नहीं है, बल्कि आत्मसंयम और मन की शुद्धि का साधन है। इसलिए शास्त्रों में कहा गया है कि व्रत के दौरान सात्विक भोजन जैसे फल, दूध, दही और हल्का आहार लेना चाहिए। इससे शरीर हल्का रहता है और मन स्थिर होकर साधना में लग पाता है।