प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों चीन यात्रा पर हैं, जहां वे 25वें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे। यह सम्मेलन चीन के तियानजिन शहर में आयोजित किया जा रहा है। इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर चीन और रूस समेत कई बड़े देशों के नेता शामिल हैं। प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी शुरू हो चुकी है, जो लगभग 40 मिनट तक चलने की संभावना है। इस बैठक को दोनों देशों के रिश्तों में नई दिशा देने वाली अहम मुलाकात माना जा रहा है।
चीन के राष्ट्रपति से बैठक में पीएम मोदी का स्पष्ट संदेश
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की बातचीत के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने सबसे पहले चीन को एससीओ की अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि इस प्रकार की मुलाकातें भारत-चीन संबंधों को मजबूती प्रदान करेंगी। उन्होंने दुनिया को भी यह संदेश दिया कि आपसी संबंध केवल विश्वास और सम्मान के आधार पर ही लंबे समय तक टिक सकते हैं।
सीमा पर शांति और स्थिरता को बताया सकारात्मक संकेत
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले वर्ष कजान में हुई उनकी चर्चा काफी उपयोगी रही थी, जिसके परिणामस्वरूप द्विपक्षीय संबंधों को सकारात्मक दिशा मिली। सीमा पर सैनिकों की वापसी के बाद स्थिरता और शांति का माहौल बना है, जो दोनों देशों के लिए शुभ संकेत है। पीएम ने कहा कि सीमा प्रबंधन से संबंधित समझौते विशेष प्रतिनिधियों के बीच हो चुके हैं। इसके अलावा कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः आरंभ किया गया है और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली भी एक बड़ा कदम है।
विश्वास और संवेदनशीलता पर आगे बढ़ेंगे रिश्ते – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग केवल द्विपक्षीय हितों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह 2.8 अरब लोगों की भलाई से जुड़ा हुआ है। इसके माध्यम से पूरी मानवता के लिए कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता को आधार बनाकर आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इसके साथ ही उन्होंने चीन को एससीओ की सफल अध्यक्षता के लिए बधाई दी और अपने निमंत्रण के लिए धन्यवाद भी किया।
ड्रैगन और हाथी को साथ आने की जरूरत – शी जिनपिंग
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी के साथ वार्ता में कहा कि भारत और चीन दोनों एशिया की प्राचीन सभ्यताएं हैं और यह दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भी हैं। दोनों देश ग्लोबल साउथ के अहम हिस्से हैं और विकासशील देशों की आवाज़ को मजबूती प्रदान करने की जिम्मेदारी भी निभाते हैं।
शी जिनपिंग ने कहा कि चीन और भारत के लिए सबसे अच्छा विकल्प यही है कि वे मित्र पड़ोसी बनकर आगे बढ़ें। दोनों देशों को ऐसे साझेदार बनना चाहिए जो एक-दूसरे की सफलता में सहायक हों। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब ड्रैगन और हाथी साथ आएं और विश्व को एक नई दिशा दें।