CM मोहन यादव करेंगे विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का शुभारंभ, ऐप लॉन्च कर युवाओं से करेंगे संवाद

भारतीय काल गणना पद्धति को आधुनिक तकनीक से जोड़ने वाली अनूठी पहल का शुभारंभ आज होने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सोमवार सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री निवास पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण करेंगे और इसके मोबाइल एप्लिकेशन का औपचारिक लोकार्पण भी करेंगे। इस मौके पर युवा शक्ति को जोड़ने के लिए शौर्य स्मारक से मुख्यमंत्री निवास तक एक विशेष मार्च और रैली का आयोजन किया गया है। इसके अंतर्गत बाइक और बस रैली श्यामला हिल्स तक पहुंचेगी और वहां से यह पैदल मार्च के रूप में परिवर्तित होकर मुख्यमंत्री निवास तक जाएगी। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री युवाओं से संवाद भी करेंगे।

भारतीय कालगणना को मिलेगी नई पहचान

यह वैदिक घड़ी केवल समय बताने वाला यंत्र नहीं है, बल्कि यह भारतीय पंचांग और काल गणना पद्धति को डिजिटल तकनीक के साथ जोड़ने का प्रयास है। इस घड़ी के जरिए उपयोगकर्ताओं को समय के साथ-साथ पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, वार, मास, व्रत और त्योहारों की सटीक जानकारी भी मिलेगी। खास बात यह है कि इसे 189 से अधिक भाषाओं में देखा जा सकेगा। यह पहल न केवल परंपरा का संरक्षण है, बल्कि आधुनिक विज्ञान के साथ उसका संगम भी है।

युवाओं का जुड़ाव और संवाद

इस आयोजन का केंद्र युवाओं को भारतीय वैज्ञानिक परंपराओं से जोड़ना है। कॉलेज और विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राएं शौर्य स्मारक पर एकत्रित होंगे और “भारत का समय – पृथ्वी का समय” विषयक यात्रा में शामिल होंगे। मार्च और संवाद कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं युवाओं से सीधा संवाद करेंगे। यहां वैदिक घड़ी को “भारत के समय की पुनर्स्थापना की पहल” के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।

उज्जैन से शुरू हुई थी पहल

वैदिक घड़ी भारतीय कालगणना पर आधारित दुनिया की पहली घड़ी है। इसका औपचारिक शुभारंभ 29 फरवरी 2024 को उज्जैन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। यह घड़ी भारतीय संस्कृति, वैदिक गणना और आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण का अद्भुत संगम है। भारत की वही पावन भूमि जिसने पूरे विश्व को अपने ज्ञान से प्रकाशित किया, अब इस घड़ी के माध्यम से अपनी प्राचीन समय गणना पद्धति को नए स्वरूप में सामने ला रही है।

विरासत और तकनीक का संगम

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी केवल तकनीकी उपकरण नहीं है, बल्कि यह भारत की गौरवशाली परंपरा, प्रकृति और विज्ञान का अद्भुत प्रतीक है। इस घड़ी का उद्देश्य है भारतीय काल गणना की विश्वसनीयता और वैज्ञानिकता को पुनः स्थापित करना। इसे स्वदेशी जागरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। यह पहल भारत को विश्व मंच पर और अधिक मजबूती प्रदान करेगी।

मोबाइल ऐप की विशेषताएँ

वैदिक घड़ी का मोबाइल एप्लिकेशन और भी समृद्ध है। इसमें 3179 विक्रम पूर्व (श्रीकृष्ण जन्मकाल) से लेकर महाभारतकाल और उसके बाद के 7000 वर्षों से अधिक का पंचांग शामिल किया गया है। ऐप में तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत और त्योहारों की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई गई है। धार्मिक कार्यों और साधना के लिए इसमें 30 अलग-अलग शुभ-अशुभ मुहूर्तों का विवरण दिया गया है, साथ ही अलार्म की सुविधा भी है।

वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों दृष्टियों से खास

मोबाइल ऐप में आधुनिक सुविधाएं भी समाहित हैं। इसमें वैदिक समय (30 घंटे), वर्तमान मुहूर्त, GMT और IST समय, सूर्योदय-सूर्यास्त की गणना, मौसम, तापमान, हवा की गति और आर्द्रता की जानकारी दी जा रही है। खास बात यह है कि यह ऐप 189 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है और हर दिन के 30 मुहूर्तों का सटीक विवरण देता है। इस तरह यह ऐप वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आध्यात्मिक परंपरा दोनों को साथ लेकर चलता है।

संस्कृति और आधुनिकता का अद्वितीय समन्वय

विक्रमादित्य वैदिक घड़ी और इसका मोबाइल ऐप न केवल समय देखने का माध्यम है, बल्कि यह भारत की प्राचीन धरोहर को आधुनिक दुनिया तक पहुंचाने का साधन भी है। यह प्रयास हमारी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान देगा और आने वाली पीढ़ियों को भारतीय कालगणना की गहराई से परिचित कराएगा।