आरपीएल माहेश्वरी कॉलेज के Principal डॉ.राजीव कुमार झालानी ने माहेश्वरी विद्यालय ट्रस्ट द्वारा लगाए गए वित्तीय गड़बड़ियों के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, आरोपों के जवाब में उन्होंने कहा कि महाविद्यालय के खातों की जांच प्रतिवर्ष माहेश्वरी ट्रस्ट द्वारा नियुक्त माहेश्वरी समाज के ही प्रतिष्ठित चार्टर्ड एकाउंटेंट फर्म द्वारा किया जाता है तथा प्रतिवर्ष ऑडिट रिपोर्ट ट्रस्ट में जमा की जाती है।
जिसके ट्रस्टी पुरुषोत्तमदास पसारी एवं रामअवतार जाजू भी हैं,साथ ही लगभग ढाई वर्ष पूर्व ट्रस्ट के चुनाव समय ट्रस्ट द्वारा संचालित अन्य संस्थाओं के साथ माहेश्वरी कॉलेज के समस्त वर्षों के खाते व ऑडिट रिपोर्ट समाजजनों/ पदाधिकारियों के अवलोकन हेतु रखे गए थे, परंतु तब भी किसी ने कोई आपत्ति नहीं ली, जिसके उपरांत लगभग 2 वर्ष बीत जाने तक भी यही प्रबंधन तथा ट्रस्टी हैं लेकिन कोई गलती नहीं निकाली गई, अचानक से बिना सबूत इस तरह के आरोप लगाना प्राचार्य की एवं पूर्व प्रबंधन व पूर्व चार्टर्ड एकाउंटेंट की साख धूमिल करने का प्रयास है।
प्राचार्य डॉ. झालानी ने बताया कि बार-बार प्रबंधन द्वारा महाविद्यालय व स्टॉफ के गोपनीय दस्तावेज घर पर भेजने हेतु पत्र के माध्यम से दबाव बनाया जाता है जबकि विश्वविद्यालय परिनियम 28 के अनुसार सभी गोपनीय दस्तावेज प्राचार्य की देखरेख में महाविद्यालय कार्यालय में सुरक्षित रखे जावें का स्पष्ट निर्देश है, जिसकी जानकारी प्रबंधन को पत्र लिखकर कई बार दी जा चुकी है तथा प्रबंधन को महाविद्यालय आकर अवलोकन हेतु आमंत्रित किया जा चुका है, इसके पीछे शासन व विश्वविद्यालय का स्पष्ट सोच है कि प्रबंधन में समय-समय पर बदलाव होता रहता है इसलिए दस्तावेज महाविद्यालय कार्यालय में ही अनिवार्यत: रखे जाएं।
अतः ट्रस्ट एवं शिक्षण समिति डॉ. वीणा सोनी द्वारा लगाए गए आरोप निराधार व असत्य हैं तथा भ्रम पैदा करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। प्रबंधन द्वारा प्राचार्य एवं शिक्षकों को उच्च वेतन देने की बात सामने आयी है इसके जवाब में प्राचार्य डॉ. झालानी ने कहा कि वे जब प्राचार्य बने तब उनकी सैलरी कई महाविद्यालय के प्राध्यापकों से भी कम थी, तब पिछले लगातार 17 वर्षों के कड़े परिश्रम के फलस्वरुप तथा स्टॉफ की दिनरात मेहनत से महाविद्यालय की उपलब्धियों, प्रतिवर्ष विद्यार्थियों की प्रवेश संख्या में वृद्धि एवं प्रतिवर्ष विश्वविद्यालय की प्रावीण्य सूची में स्थान के फलस्वरुप साल दर साल प्रबंधन ने वेतन वृद्धि की है।
यहां प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से विद्यार्थियों व उनके पालकों तथा समाजजनों को स्पष्ट करना आवश्यक है कि सभी आरोप शिक्षण समिति सचिव डॉ.वीणा सोनी द्वारा स्टॉफ सदस्यों एवं विद्यार्थियों के साथ किए गए अभद्र भाषा व दुर्व्यवहार को छिपाने की तथा उन पर कोई भी कार्यवाही न करने की कोशिश है, जबकि कार्यवाही की मांग को लेकर आज भी सभी स्टॉफ सदस्यों ने काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज किया तो वहीं विद्यार्थियों ने “गुंडा” शब्द पर गहरी आपत्ति लेते हुए इस्तीफे की मांग की, ज्ञात हो कि शिक्षण समिति सचिव डॉ.वीणा सोनी की ऑडियो क्लिप सार्वजनिक हो चुकी है फिर भी प्रबंधन आज भी निर्णय लेने से बचता रहा जिससे विद्यार्थियों में गहरा रोष है।