भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु, जो चार महीने तक योगनिद्रा में रहते हैं, करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी या पार्श्व एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, यह तिथि पापों का नाश करने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है। इस वर्ष यह व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा। भक्तगण इस दिन उपवास रखकर विष्णु भगवान की आराधना करते हैं और सुख-समृद्धि व जीवन की बाधाओं से मुक्ति की कामना करते हैं।
पीपल वृक्ष की पूजा का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी पर पीपल के वृक्ष की पूजा करना विशेष फलदायी माना गया है। कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इस दिन पीपल को जल अर्पित करके दीपक जलाना और भगवान विष्णु से आशीर्वाद माँगना पितृदोष से मुक्ति दिलाता है। इससे घर-परिवार में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
तुलसी दल अर्पण करने का महत्व
विष्णु भगवान को तुलसी अत्यंत प्रिय है। इसीलिए परिवर्तिनी एकादशी पर तुलसी दल अर्पित करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन तुलसी पत्ते चढ़ाने से घर में सौभाग्य, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है। तुलसी अर्पण करने वाले भक्त पर विष्णु भगवान विशेष कृपा बरसाते हैं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
दान और पुण्य का महत्व
शास्त्रों में एकादशी के दिन दान को श्रेष्ठ कर्म माना गया है। परिवर्तिनी एकादशी पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र या अनाज का दान करना अत्यंत पुण्यदायी होता है। इस दिन किया गया दान पापों का क्षय करता है और जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। इससे न केवल आत्मिक संतोष मिलता है, बल्कि भविष्य में सुखद परिस्थितियाँ भी बनती हैं।
पीली वस्तुओं का अर्पण
भगवान विष्णु को पीला रंग बहुत प्रिय है। इसीलिए व्रत और पूजा के समय पीले पुष्प, पीले वस्त्र या पीली मिठाई अर्पित करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से नौकरी और करियर में आने वाली अड़चनें दूर होती हैं। साथ ही, जीवन में प्रगति और उन्नति के नए मार्ग खुलते हैं।
मंत्र जप का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी पर मंत्रजप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इस दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और हर मनोकामना पूरी होती है। नियमित जप करने से नकारात्मक विचार दूर होते हैं और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है।
एकादशी की महत्ता और विशेष पूजा
एकादशी तिथि को संपूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। इस दिन की गई साधना और पूजा से देवी लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इससे जीवन में हर कार्य सफल होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इस अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी-नारायण की विशेष आराधना होती है और भक्त दान-पुण्य करके पुण्य अर्जित करते हैं।