मध्य प्रदेश समेत पूरे देश में 27 अगस्त से शुरू हुआ गणेश महोत्सव अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। दस दिनों तक भक्तिभाव और श्रद्धा के साथ चले इस पर्व का समापन दो दिन बाद अनंत चतुर्दशी के अवसर पर गणेश विसर्जन के साथ होगा। खास बात यह है कि इस बार गणेश विसर्जन पंचक काल में होने जा रहा है, जिसे शास्त्रों में शुभ माना गया है।
पंचक कब से कब तक रहेगा
हिन्दू पंचांग के अनुसार, सितंबर माह में पंचक की शुरुआत 6 सितंबर 2025 से होगी। यह काल 6 सितंबर की रात 3:12 बजे से शुरू होकर 7 सितंबर की देर रात 1:41 बजे तक रहेगा। इसके बाद पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जाएगी। ठीक इसी दिन अनंत चतुर्दशी का पर्व भी मनाया जाएगा, जिसके कारण इस बार गणेश विसर्जन का महत्व और भी बढ़ गया है।
हवन करने का सही समय
परंपरा के अनुसार, गणेश विसर्जन से पहले हवन करना शुभ माना जाता है। चूंकि 6 सितंबर को पंचक रहेगा, इसलिए ज्योतिषाचार्यों का मत है कि हवन 5 सितंबर को करना सर्वश्रेष्ठ रहेगा। हालांकि श्रद्धालु अपनी सुविधा और सामर्थ्य अनुसार हवन कर सकते हैं, लेकिन पंचक आरंभ होने से पहले किया गया हवन विशेष फलदायी माना जाता है।
पंचकों में गणेश विसर्जन क्यों शुभ
धार्मिक मान्यता है कि पंचकों के दौरान गणेश विसर्जन, दुर्गा स्थापना, दुर्गा विसर्जन जैसे पर्व करना शुभ फल देता है। इसका कारण यह है कि पंचक पांच दिनों का प्रतीक होता है। इस दौरान जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल और प्रभाव पांच गुना अधिक हो जाता है। यही वजह है कि पंचकों में गणेश विसर्जन विशेष महत्व रखता है और इसे मंगलकारी माना गया है।
पंचक का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचक वह अवधि होती है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में संचार करता है। इस समय में किए गए कार्य का असर लंबे समय तक देखा जाता है। यही वजह है कि इस दौरान कोई भी नया शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नया निर्माण करने की सलाह नहीं दी जाती। लेकिन धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और विशेष पर्वों के आयोजन इस अवधि में अत्यंत पुण्यकारी होते हैं।