मध्यप्रदेश के शिक्षकों के लिए बड़ी खुशखबरी आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल में आयोजित राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में घोषणा की कि शिक्षकों को अब चौथा क्रमोन्नति वेतनमान दिया जाएगा। सीएम ने कहा कि इससे सरकार पर करीब 117 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार तो आएगा, लेकिन शिक्षकों के सम्मान और समर्पण के लिए यह कदम खुशी का कारण बनेगा।
सरकारी शिक्षक बना रहे अलग पहचान
प्रशासन अकादमी, भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के सरकारी शिक्षक आज देश के किसी भी नामी बोर्ड जैसे CBSE और ICSE को टक्कर दे रहे हैं। यही वजह है कि सरकारी स्कूलों के बच्चे कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में चौथे क्रमोन्नति वेतनमान का प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा।
उत्कृष्ट शिक्षकों का हुआ सम्मान
समारोह में प्रदेशभर से चुने गए 14 उत्कृष्ट शिक्षकों को सम्मानित किया गया। इन्हें 25 हजार रुपए की सम्मान निधि, शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। साथ ही, इस मौके पर 55 लाख विद्यार्थियों के खातों में यूनिफॉर्म हेतु 330 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए।
किन शिक्षकों को मिलेगा लाभ
1 जुलाई 2023 तक जिन शिक्षकों की सेवा अवधि 35 वर्ष पूरी हो चुकी है, लेकिन वे पदोन्नति के पात्र नहीं हैं, उन्हें इस निर्णय का लाभ मिलेगा। ऐसे करीब 1.50 लाख प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक चौथे समयमान वेतनमान के दायरे में आएंगे। अभी तक यह लाभ केवल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मिल रहा था, जिसकी लंबे समय से शिक्षक मांग कर रहे थे।
प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर सम्मानित शिक्षक
गुना, शाजापुर, सिवनी, दमोह, खंडवा, उज्जैन और अलीराजपुर के शिक्षकों को इस बार सम्मानित किया गया। वहीं उच्चतर माध्यमिक श्रेणी में धार, जबलपुर, सागर, रतलाम, राजगढ़ और बालाघाट के शिक्षकों को यह सम्मान दिया गया।
राष्ट्रीय स्तर पर भी चमका मप्र का नाम
इस साल राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए मध्यप्रदेश से दमोह जिले की शिक्षिका शीला पटेल और आगर-मालवा के शिक्षक भैरूलाल ओसारा का चयन हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिल्ली में आयोजित समारोह में उन्हें सम्मानित किया।
नवाचार और प्रेरणा की कहानियाँ
राज्य स्तरीय सम्मान समारोह में कई शिक्षकों ने अपने अनुभव साझा किए।
- सौरभ कुमार शर्मा (बालाघाट) ने बताया कि उन्होंने स्कूल में मेंटॉरशिप चेन शुरू की, जिससे विद्यार्थी IIT, NIT और दिल्ली विश्वविद्यालय तक पहुंचे।
- सुनीता गोधा (मंदसौर) ने ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों की शिक्षा से जुड़ी चुनौतियों का समाधान किया और जीरो इन्वेस्टमेंट इनोवेशन लागू किए।
- अपूर्व शर्मा (उज्जैन) ने स्कूल में एक्वेरियम बनवाया, नए कमरे, प्रोजेक्टर और पंखे लगवाए तथा बच्चों को पढ़ाई के साथ प्रयोगात्मक शिक्षा दी।