इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव के एक भाषण को लेकर सियासी विवाद खड़ा हो गया है। वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिए गए उनके वक्तव्य पर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं और उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। इस पूरे मामले पर मध्यप्रदेश के कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
“सामान्य वक्तव्य को बनाया गया राजनीतिक मुद्दा”
कैलाश विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हुए कहा कि आज उनका हृदय व्यथित है। उनके अनुसार, संघमित्र को वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिए गए एक सामान्य वक्तव्य पर राजनीतिक मोहरा बनाना न केवल निंदनीय है बल्कि अमानवीय भी प्रतीत होता है।
“वाद-विवाद में विपक्ष की भूमिका थी”
विजयवर्गीय ने स्पष्ट किया कि वाद-विवाद प्रतियोगिता का मूल ही यही है कि कुछ प्रतिभागी पक्ष रखते हैं और कुछ विपक्ष। संघमित्र ने प्रतियोगिता में विपक्ष की भूमिका निभाते हुए अपनी वाक-कला का परिचय दिया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यह ठीक वैसा ही है जैसे रंगमंच पर कोई अभिनेता कभी नायक तो कभी खलनायक की भूमिका निभाता है।
उन्होंने आगे कहा कि इंदौर में होने वाले “हमारे राम” नाटक में अभिनेता आशुतोष राणा रावण की भूमिका निभा रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि वे सचमुच रावण हैं? नहीं, यह तो केवल कला की अभिव्यक्ति है।
“राजनीति इतनी नीचे गिर गई”
विजयवर्गीय ने इस बात पर दुख जताया कि संघमित्र को केवल इसलिए ट्रोल किया जा रहा है क्योंकि वे इंदौर के मेयर पुष्यमित्र भार्गव के पुत्र हैं। उनके अनुसार, यह आलोचना एक ऐसे युवा की प्रतिभा और आत्मविश्वास को तोड़ने का प्रयास है, जो उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा कि यह व्यवहार अन्यायपूर्ण है और समाज की सोच पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। राजनीति इतनी नीचे गिर जाए कि बच्चों की मासूम प्रतिभा भी उसकी भेंट चढ़ जाए, यह बेहद खेदजनक और चिंताजनक है।
मुख्यमंत्री ने किया प्रोत्साहित
कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री मोहन यादव का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने न सिर्फ संघमित्र की वाकपटुता की सराहना की, बल्कि उन्हें कुछ सुझाव भी दिए। यह कदम न केवल प्रोत्साहन है बल्कि यह संदेश भी देता है कि सच्ची प्रतिभा को राजनीति के तराजू में नहीं तोला जाना चाहिए।