देशभर में लगातार हो रही भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। खेतों में खड़ी फसलें कई राज्यों में पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। मध्य प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा, जहां इस बार सामान्य से कहीं अधिक वर्षा दर्ज की गई है। तेज बारिश और बाढ़ की वजह से किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है, वहीं कई इलाकों में जनहानि और संपत्ति का भी नुकसान हुआ है। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रभावित किसानों की मदद के लिए राहत पैकेज जारी किया है।
हजारों किसानों को करोड़ों की आर्थिक मदद
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया। बुधवार को उन्होंने 11 जिलों के 17,500 किसानों के खातों में ₹20.6 करोड़ की राशि सिंगल क्लिक से सीधे ट्रांसफर की। मुख्यमंत्री ने कहा कि संवेदनशील शासन और त्वरित राहत हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी दोहराया कि किसान राज्य की रीढ़ हैं और उनकी भलाई सरकार की सर्वोच्च जिम्मेदारी है। इस पहल से किसानों को तुरंत वित्तीय सहारा मिला है, ताकि वे मुश्किल हालात से उबर सकें।
अब तक ₹188.52 करोड़ की सहायता
राज्य सरकार ने वर्ष 2025-26 के दौरान अब तक प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों और अन्य पीड़ितों को कुल ₹188.52 करोड़ की राहत राशि प्रदान की है। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहेगी और समय-समय पर नुकसान का आकलन करके पीड़ितों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। सरकार का प्रयास है कि किसान समय पर मदद पाएं और उनके जीवन व आजीविका पर आई विपरीत परिस्थितियों का बोझ कम हो सके।
राहत कार्यों और खाद-यूरिया वितरण की समीक्षा
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को अपने निवास स्थित समत्व भवन से बाढ़ और अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे राहत कार्यों की समीक्षा की। इस बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। जिलों के कलेक्टर और प्रशासनिक अधिकारी वर्चुअल माध्यम से जुड़े और अपने-अपने जिलों की ताज़ा स्थिति साझा की।
किसानों को समय पर मिले खाद-यूरिया
बैठक में मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से खाद और यूरिया वितरण प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि किसानों को समय पर और पर्याप्त मात्रा में खाद-यूरिया उपलब्ध कराया जाए। साथ ही वितरण प्रणाली पूरी तरह पारदर्शी और व्यवस्थित हो। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से लगातार संवाद बनाए रखा जाए, ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। सरकार का स्पष्ट संदेश है कि किसानों को किसी भी स्थिति में खाद और उर्वरक की किल्लत न झेलनी पड़े।