MP Tourism : मध्यप्रदेश भारत के मध्य में स्थित शानदार पर्यटन स्थलों में से एक है। मध्य प्रदेश को भारत के दिल की धड़कन भी कहा जाता है। क्योंकि यहां के पर्यटन स्थल पर्यटकों का दिल चुरा लेते हैं। यहां पर प्रति वर्ष लाखों की संख्या में सैलानी प्रकृति की सुंदरता का दीदार करने आते हैं। भारत का सबसे कम आबादी वाला यह राज्य अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। ऐसे में यदि आप घूमने की योजना बना रहे हैं तो एक बार मध्य प्रदेश के इन शानदार पर्यटन स्थलों का दीदार अवश्य करें। मध्य प्रदेश में ऐसी कई जगह मौजूद है जो वीरों से जुड़ी हुई है और उनकी कहानी को बयां करती है। इन्हीं में से एक जगह है रावेरखेड़ी, इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मिश्रण यहां देखने को मिला है। बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं।
अगर आप परिवार और दोस्तों के साथ घूमने फिरने का प्लान बना रहे हैं तो ये एक बेहतरीन पिकनिक स्पॉट है जहां जाया जा सकता है। ट्रेकिंग के लिहाज से भी यह जगह उपयुक्त है वही यहां पर गाड़ी से भी आसानी से पहुंचा जा सकता है। यहां से बहने वाली नर्मदा नदी बहुत खूबसूरत तो है लेकिन इसमें उतारने के लिए कोई भी घाट नहीं बनाया गया है। अगर आप बाद में उतरना चाहते हैं तो आपको ग्रामीणों की सहायता लेनी होगी। अब इस जगह पर एक खूबसूरत बगीचा बना दिया गया है। इस जगह की देखरेख बाजीराव पेशवा ट्रस्ट की ओर से ही की जाती है। बड़ी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं।
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इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य से भरी यह जगह इंदौर से 100 किलोमीटर दूर पड़ती है। यहां मौजूद रावेर गांव से कुछ ही दूरी पर खेड़ी गांव पड़ता है। इस छोटे से गांव में नर्मदा किनारे एक परकोटा बना हुआ है जहां पर बीचोबीच समाधि भी मौजूद है। बलुआ पत्थरों से बड़ी ही सादगी के साथ इस परकोटे को तैयार किया गया है लेकिन नर्मदा की प्राकृतिक सुंदरता इसे बहुत ही खूबसूरत बना देती है। इसका काफी हिस्सा जीर्ण शीर्ण हो चुका है लेकिन बचे हुए हिस्से को अब सहेजने की कोशिश की जा रही है जो अपने अंदर इतिहास की गाथा समेटे हुए है। बाजीराव के समाधि स्थल के पास से बहने वाली नर्मदा नदी बरसात में ज्यादा खूबसूरत लगती है।
रावेरखेड़ी ने 2 राज्यों मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को जोड़ कर रखा है। ये एक ऐसे वीर सपूत से जुड़ा स्थान है जिसने अपने जीवन में किसी भी युद्ध में हार नहीं मानी। हम बात कर रहे है पेशवा बाजीराव प्रथम की, जिनकी वीर गाथाएं आज भी प्रसिद्ध है।1740 में बाजीराव यहां पर आराम करने के लिए रुके थे, तभी उनकी तबीयत बिगड़ गई। तबीयत में सुधार नहीं हुआ और पेशवा की मृत्यु हो गई।