जीएसटी दरों में बदलाव के बाद कंपनियों के सामने बड़ी समस्या यह थी कि उनके पास पहले से तैयार पुराना माल पड़ा हुआ था, जिस पर पुराने टैक्स के हिसाब से कीमत छपी हुई थी। इस वजह से उन्हें डर था कि ये स्टॉक बिक नहीं पाएगा और नुकसान उठाना पड़ेगा। लेकिन 9 सितंबर 2025 को सरकार ने राहत भरा ऐलान किया। अब कंपनियां अपने पुराने स्टॉक पर नया रेट लिखकर उसे आसानी से बेच सकेंगी। इसके लिए वे चाहे स्टिकर चिपकाएं, स्टांप लगाएं या फिर ऑनलाइन प्रिंट करके नया मूल्य दर्शा दें।
मनमानी पर लगाम
सरकार ने यह भी साफ किया है कि कंपनियां इस नियम का गलत फायदा नहीं उठा पाएंगी। नए दाम लगाते समय पुराना प्रिंटेड मूल्य भी ग्राहक को स्पष्ट दिखना चाहिए। यानी नया रेट पुराने के ऊपर छिपाकर नहीं लगाया जा सकता। इससे उपभोक्ता को यह जानकारी मिलती रहेगी कि किसी वस्तु की कीमत पहले कितनी थी और संशोधन के बाद कितनी हो गई है। यह सुविधा केवल उन्हीं उत्पादों पर लागू होगी, जो पहले से पैक्ड हैं और जिनकी बिक्री जीएसटी दरों के बदलाव की वजह से प्रभावित हुई थी।
पारदर्शिता के लिए पब्लिक नोटिस जरूरी
कंपनियों को केवल पैकेज पर नया रेट छापना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि उन्हें इसकी जानकारी जनता तक भी पहुँचानी होगी। इसके लिए कम से कम दो अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा केंद्र सरकार के संबंधित विभाग, राज्यों की एजेंसियों और खुदरा विक्रेताओं को भी इस बदलाव की सूचना देना जरूरी होगा। यानी ग्राहकों और प्रशासन दोनों के लिए पूरी पारदर्शिता बनाए रखनी होगी।
समय-सीमा बढ़ाई गई
शुरुआत में कंपनियों को 22 सितंबर 2025 तक अपने स्टॉक पर नए दाम अंकित करने की समय-सीमा दी गई थी। मगर उद्योग जगत ने साफ कहा कि इतने कम समय में सभी उत्पादों पर बदलाव संभव नहीं है। इस पर सरकार ने अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 दिसंबर 2025 कर दी। इस फैसले से कंपनियों को बड़ी राहत मिली है, खासकर उन निर्माताओं को जिन्होंने त्योहारी सीजन को देखते हुए पहले से ही भारी मात्रा में माल बना लिया था। अब वे बिना जल्दबाजी किए अपने स्टॉक को बाजार में उतार सकेंगे और नुकसान से बच पाएंगे।
डबल इन्वेंट्री की समस्या खत्म
जीएसटी की दरें बदलने से कंपनियों को पहले यह चिंता थी कि उन्हें पुराने और नए दोनों तरह के दाम वाले स्टॉक को अलग-अलग संभालना पड़ेगा। इससे वितरण और बिक्री में मुश्किलें बढ़ सकती थीं। लेकिन अब जब सरकार ने पुराने माल पर संशोधित MRP अंकित करने की अनुमति दे दी है, तो डबल इन्वेंट्री की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
सबको होगा फायदा
सरकार का यह कदम कंपनियों और ग्राहकों दोनों के लिए फायदेमंद है। ग्राहकों को नई दरों के हिसाब से सस्ते उत्पाद मिलेंगे, जबकि कंपनियां बिना नुकसान उठाए अपने पुराने स्टॉक को आसानी से बेच पाएंगी। इससे त्योहारी सीजन में बाजार की रफ्तार बनी रहेगी और जीएसटी के बदलाव को अपनाना भी आसान हो जाएगा।