21 सितंबर 2025, रविवार को पितृपक्ष अमावस्या के दिन साल का दूसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। यह एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जो रात 11 बजे से शुरू होकर 22 सितंबर सुबह 3 बजकर 24 मिनट तक चलेगा। इसकी कुल अवधि 4 घंटे से अधिक होगी। हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, क्योंकि उस समय यहां रात होगी। इस वजह से भारत में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह ग्रहण मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया, अंटार्कटिका, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के कुछ हिस्सों से देखा जा सकेगा।
ग्रहण के समय ग्रहों की स्थिति
ग्रहण के दौरान सूर्य, चंद्रमा और बुध कन्या राशि में होंगे, जबकि शनि मीन राशि में स्थित रहेगा। इस समय बुधादित्य राजयोग का भी निर्माण होगा। साथ ही गुरु मिथुन में, मंगल तुला में, शुक्र और केतु सिंह में तथा राहु कुंभ राशि में रहेंगे। ग्रहण कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगने वाला है।
किन राशियों को मिलेगा लाभ?
यह सूर्य ग्रहण कुछ राशियों के लिए बेहद शुभ संकेत लेकर आ रहा है। मेष, वृषभ, कर्क, कन्या, वृश्चिक और मीन राशि वालों को करियर में तरक्की, आर्थिक प्रगति और स्वास्थ्य संबंधी लाभ की संभावना है। ये जातक इस समय सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास महसूस करेंगे।
किन राशियों को बरतनी होगी सावधानी?
वहीं, मिथुन, सिंह, तुला और कुंभ राशि के जातकों को इस दौरान सावधान रहने की जरूरत होगी। इन पर ग्रहण का नकारात्मक असर पड़ सकता है। स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें, मानसिक तनाव या करियर में रुकावटों की आशंका बनी रहेगी। ऐसे जातकों को धैर्य और संयम से कार्य करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण कैसे लगता है?
ज्योतिष और खगोल विज्ञान के अनुसार, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य की किरणें पूरी तरह पृथ्वी तक नहीं पहुंच पातीं, तो सूर्य ग्रहण बनता है। आंशिक ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा सूर्य के केवल कुछ हिस्से को ढकता है। वहीं वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी से अधिक दूरी पर होता है और सूर्य पूरी तरह ढक नहीं पाता। इस स्थिति में आसमान में ‘आग की अंगूठी’ जैसी आकृति दिखाई देती है।
ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें?
ग्रहण काल को हमेशा विशेष माना गया है। धर्मशास्त्रों के अनुसार इस समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए –
- सूतक काल में पूजा-पाठ वर्जित है।
- घर के मंदिर को पर्दे से ढक दें।
- देवी-देवताओं की प्रतिमा की पूजा नहीं करनी चाहिए।
- इस दौरान भोजन या पानी का सेवन न करें।
- खाद्य पदार्थों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना शुभ है।
- ग्रहण खत्म होने के बाद घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्धिकरण करें।
- गर्भवती महिलाओं को ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही बाहर निकलना चाहिए।
- सूतक काल में सिलाई, बाल कटवाना, तेल लगाना या चाकू चलाना भी वर्जित है।
ग्रहण के बाद दान का महत्व
ग्रहण के पश्चात दान करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन चना, गेहूं, गुड़, दाल, केले, पेड़े, बेसन लड्डू, लाल वस्त्र, दूध और चावल का दान करने से जीवन में तरक्की और सफलता मिलती है।