मध्य प्रदेश सरकार ने आदिवासी बहुल जिले अलीराजपुर का नाम बदलकर आलीराजपुर कर दिया है। गृह मंत्रालय से अनापत्ति पत्र (NOC) प्राप्त होने के बाद राज्य सरकार ने तुरंत प्रभाव से अधिसूचना जारी की। इस कदम के साथ ही स्थानीय लोगों की वर्षों से चली आ रही मांग पूरी हो गई है। अब से जिले का नया नाम सभी सरकारी रिकॉर्ड, मानचित्र, और दस्तावेजों में लागू होगा।
सालों पुरानी मांग को मिली मंजूरी
स्थानीय निवासियों और सामाजिक संस्थाओं की यह मांग लंबे समय से लंबित थी। लोगों का कहना था कि “आलीराजपुर” नाम जिले की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को ज्यादा सटीक रूप से दर्शाता है। आखिरकार केंद्र सरकार की मंजूरी मिलने के बाद यह सपना पूरा हो सका। इस फैसले ने न केवल स्थानीय जनता की भावनाओं को सम्मान दिया है, बल्कि जिले की पहचान को भी ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में पुनर्स्थापित किया है।
2012 से चल रही थी नाम बदलने की कवायद
आलीराजपुर का नाम बदलने की प्रक्रिया वर्ष 2012 में शुरू हुई थी। उस समय जिला योजना समिति की बैठक में यूनिवर्सल सृजन जनसेवा संस्था ने यह प्रस्ताव रखा था। संस्था का तर्क था कि “आलीराजपुर” नाम जिले की जड़ों और उसकी संस्कृति को सही ढंग से अभिव्यक्त करता है। तभी से यह मुद्दा चर्चा में बना रहा और अब जाकर इसका औपचारिक समाधान सामने आया है।
गृह मंत्रालय ने दिया हरी झंडी
कलेक्टर अभय बेड़ेकर के अनुसार, राज्य सरकार ने इस विषय पर केंद्र को विस्तृत प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में नाम परिवर्तन के पीछे के सभी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक तर्क शामिल किए गए थे। गहन समीक्षा के बाद गृह मंत्रालय ने 21 अगस्त 2025 को अनापत्ति पत्र जारी कर दिया। इसके बाद राज्य सरकार ने 15 सितंबर 2025 को अधिसूचना जारी कर नाम परिवर्तन को औपचारिक रूप दे दिया।
नए नाम से मिलेगी नई पहचान
नई अधिसूचना के मुताबिक अब जिले का नाम “आलीराजपुर” सभी सरकारी दस्तावेजों, राजपत्रों और मानचित्रों में दर्ज किया जाएगा। यह बदलाव तुरंत लागू कर दिया गया है। इस परिवर्तन के साथ जिले की ऐतिहासिक गरिमा और सांस्कृतिक महत्व को उचित पहचान मिली है।
नाम के पीछे की कहानी
इतिहासकारों का मानना है कि जिले का नाम आलीराजपुर दो रियासतों—आलिया भील और राजपुर—से मिलकर बना था। 15वीं सदी में भील राजा आलिया भील का यहां शासन रहा। समय के साथ उच्चारण और वर्तनी बदलकर नाम “अलीराजपुर” हो गया। हालांकि, स्थानीय लोग हमेशा इसके मूल नाम “आलीराजपुर” को मान्यता देने की मांग करते रहे। 2008 में जब यह झाबुआ से अलग होकर नया जिला बना, तो इसे “अलीराजपुर” नाम दिया गया। अब, सरकार ने ऐतिहासिक तथ्यों और जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए आधिकारिक रूप से इसे “आलीराजपुर” कर दिया है।