मोदरी गांव में फास्फोरस की माइनिंग रोकने के लिए हाईकोर्ट नें याचिका, नर्मदा नदी का प्रवाह होगा प्रभावित

मध्यप्रदेश के खरगोन जिले में स्थित मोदरी गांव में होने वाले माइनिंग को रोकने के लिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। केंद्र सरकार ने 700 हेक्टेयर जमीन फॉस्फोराइट की माइनिंग के लिए चिन्हित की है। इसमें से 133 हेक्टेयर में माइनिंग होना है। इसे रोकने के लिए इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। जिस पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी

सिर्फ 0.53 प्रतिशत फॉस्फोरट मिलने की संभावना
याचिकाकर्ता का कहना है कि यहां फॉस्फोराइट 0.04 प्रतिशत से 0.53 प्रतिशत ही मिलने की संभावना है। जबकि झाबुआ, आलीराजपुर, मेघनगर वाले इलाके में यह खनिज पर्याप्त मात्रा में है। यह बात टेंडर में पेश किए गए दस्तावेजों में ही लिखी है।

वन्य जीवों पर छाएंगा संकट
याचिकाकर्ता का कहना है कि यहां माइनिंग की जाती है तो हजारों पेड़ काटे जाएंगे। इससे जंगल में रहने वाले वन्य जीवों के सामने संकट खड़ा हो जाएगा। वे शहर की ओर भागेंगे। जिससे जनजीवन प्रभावित होगा। इंदौर के पर्यावरण संरक्षक अजय रघुवंशी, महू की दुर्गाशक्ति पीठ के पंडित शरद कुमार मिश्र और राधाकांताचार्य महाराज, महंत सुखदेवानंद और विवेक दुबे ने अपनी याचिका में यह बात कहते हुए इसे प्राकृतिक आपदा आने का कारण बताने वाला बताया है।

नर्मदा नदी का प्रवाह होगा प्रभावित
बताया जा रहा है कि यहां माइनिंग पर अभी रोक लगाई जाए और भविष्य में भी किसी तरह की माइनिंग न हो इस संबंध में भी आदेश जारी किए जाएं। इस माइनिंग से 700 हेक्टेयर सघन वन क्षेत्र प्रभावित होगा। इससे नर्मदा नदी का प्रवाह तो प्रभावित होगा ही साथ ही जैव संतुलन भी बिगड़ेगा। यहां उत्तरा खंड- कश्मीर जैसी प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका भी बढ़ जाएगी।

किस काम आता है फॉस्फोराइट?
फॉस्फोराइट एक फॉस्फेट युक्त तलछटी चट्टान होती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से उर्वरक उत्पादन में किया जाता है। इसके उपयोग से कृषि उपज में वृद्धि होती है। इसके अलावा, इसका उपयोग पशु आहार पूरक, औद्योगिक रसायनों, खाद्य परिरक्षकों, और यहां तक कि कुछ फार्मास्यूटिकल्स के निर्माण में भी होता है। जो इसे विभिन्न उद्योगों में एक महत्वपूर्ण खनिज बनाता है।