राजस्थान, गुजरात और पंजाब में जहां मानसून की विदाई शुरू हो चुकी है, वहीं मध्यप्रदेश में बारिश का सिलसिला अब भी जारी है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि सितंबर में प्रदेश से मानसून की वापसी की संभावना बेहद कम है। पिछले कुछ दिनों से रुक-रुककर हो रही बारिश ने साफ कर दिया है कि प्रदेशवासियों को अभी और दिनों तक भीगना पड़ेगा। बुधवार देर शाम इंदौर में जमकर बारिश हुई और आने वाले दिनों में कई जिलों में तेज बारिश का अनुमान है।
30 जिलों में बारिश के आसार
मौसम विभाग के अनुसार गुरुवार और शुक्रवार को भोपाल, नर्मदापुरम, इंदौर, जबलपुर और रीवा संभाग के जिलों में भारी वर्षा की संभावना है। कुल मिलाकर प्रदेश के 30 जिलों – भोपाल, रायसेन, राजगढ़, सीहोर, विदिशा, हरदा, नर्मदापुरम, बैतूल, इंदौर, धार, झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, बुरहानपुर, खंडवा, जबलपुर, कटनी, नरसिंहपुर, सिवनी, छिंदवाड़ा, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, मऊगंज और मैहर – में बादलों के सक्रिय रहने और अच्छी बारिश के आसार हैं।
बीते 24 घंटों का बारिश का रिकॉर्ड
बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक प्रदेश के कई जिलों में अलग-अलग मात्रा में बारिश दर्ज की गई। सिवनी में सबसे ज्यादा 43 मिमी बारिश हुई। रीवा में 41 मिमी, टीकमगढ़ में 32 मिमी, सतना में 21 मिमी, छिंदवाड़ा में 16 मिमी, पचमढ़ी में 3 मिमी, सीधी में 2 मिमी और नौगांव एवं खजुराहो में 1 मिमी बारिश दर्ज की गई। सामान्यतः 21 सितंबर के आसपास मानसून की विदाई शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार हालात इसके उलट हैं।
तीन मौसम प्रणालियों का असर
मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि फिलहाल प्रदेश में तीन मौसम प्रणालियां सक्रिय हैं। पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के पास हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बना हुआ है। वहीं दक्षिण-पश्चिमी विदर्भ पर भी एक प्रभावी चक्रवात सक्रिय है। इसके अलावा मध्यप्रदेश से लेकर बंगाल की खाड़ी तक द्रोणिका बनी हुई है, जो पूर्वी विदर्भ, तेलंगाना से होकर दक्षिण तटीय आंध्रप्रदेश तक फैली हुई है। इन तीनों मौसम प्रणालियों के चलते प्रदेश में लगातार नमी आ रही है, जिससे बारिश हो रही है।
सितंबर में विदाई की संभावना कम
मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने स्पष्ट किया है कि इन मौसम प्रणालियों की वजह से लगातार नमी का आगमन जारी है। यही वजह है कि बारिश थमने का नाम नहीं ले रही। बंगाल की खाड़ी में 25 सितंबर को एक नया कम दबाव क्षेत्र बनने के संकेत हैं। इस कारण सितंबर महीने में मध्यप्रदेश से मानसून की विदाई की संभावना बहुत ही कम है।