देश में तेजी से बढ़ रहे ऑनलाइन मनी गेम्स पर अब सरकार ने पूरी तरह रोक लगाने का फैसला किया है। ये वही गेम हैं जो इंटरनेट पर खेले जाते हैं और जिनमें खिलाड़ी असली पैसे लगाते हैं। इसके लिए संसद में एक नया कानून पास किया गया है, जो 1 अक्टूबर 2025 से पूरे भारत में लागू होगा। इस कानून के दायरे में न केवल ऐसे गेमों को चलाना या खेलना आएगा, बल्कि उनके प्रचार-प्रसार और पैसों के लेन-देन पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का रुख और उद्योग से बातचीत
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार पिछले तीन वर्षों से ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों और संबंधित पक्षों से लगातार चर्चा कर रही थी। अब जब कानून और उसके नियम दोनों तय हो चुके हैं, तो इन्हें लागू करने का समय आ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सलाह-मशवरे पर भरोसा करती है और उद्योग जगत के लोगों से आखिरी दौर की बातचीत भी की जाएगी। हालांकि, 1 अक्टूबर से कानून को लागू करने में कोई देरी नहीं होगी। जरूरत पड़ने पर तकनीकी तैयारी के लिए कंपनियों को थोड़ा समय दिया जा सकता है, लेकिन नियमों में ढील नहीं मिलेगी।
किन खेलों पर गिरेगी गाज?
नए कानून के तहत जुए जैसे ऑनलाइन गेम्स पूरी तरह बैन होंगे। यदि कोई व्यक्ति या कंपनी इनका प्रचार करते पकड़े जाते हैं तो उन्हें दो साल तक की जेल और 50 लाख रुपये तक जुर्माना देना पड़ सकता है। वहीं, यदि कोई बैंक या ऑनलाइन पेमेंट ऐप इन खेलों में पैसों के लेन-देन को बढ़ावा देता है, तो उसके लिए सजा और जुर्माना और भी सख्त होगा — तीन साल तक जेल और 1 करोड़ रुपये तक जुर्माना। बार-बार नियम तोड़ने वालों के लिए दंड और जुर्माने की राशि और बढ़ाई जाएगी।
बैंकों और फिनटेक कंपनियों को चेतावनी
सरकार ने बैंकों और डिजिटल पेमेंट कंपनियों को साफ-साफ आदेश दिया है कि वे तुरंत अपनी तकनीक को अपडेट करें, ताकि ऐसे लेन-देन को रोका जा सके। सितंबर में हुई बैठक में इन कंपनियों ने सरकार से अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिस पर सरकार ने सहानुभूति जताई है। लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि कानून को लागू करने में किसी भी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी।
कानून की ज़रूरत क्यों पड़ी?
पिछले कुछ सालों में देशभर में ऑनलाइन मनी गेम्स की वजह से करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, लगभग 45 करोड़ लोग ऐसे गेम्स में शामिल थे और सिर्फ एक साल में करीब 20,000 करोड़ रुपये गंवा चुके हैं। ये लत खासकर बच्चों, युवाओं और बेरोजगारों में तेज़ी से बढ़ रही थी। कई लोग कर्ज में डूब गए, परिवार टूटने लगे और सामाजिक संकट गहराने लगा। इसी गंभीर नुकसान को रोकने के लिए सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है।