किसी अजूबे से कम नहीं लगता MP में यह मंदिर, जिसका शिखर सबसे पहले और नींव सबसे आखिरी में बनी

Ajab Gajab Temple : मध्यप्रदेश में एक ऐसा मंदिर जो किसी अजूबे से कम नहीं लगता है। इस मंदिर का निर्माण एक ही चट्टान को काटकर तराशकर किया गया। मंदिर का शिखर सबसे पहले बना और इसकी नींव सबसे आखरी में बनी। मंदिर की संरचना देखकर यह आने वाले लोग आश्चर्य चकित रह जाते है। इस मंदिर का नाम है श्री धर्मराजेश्वर मंदिर, जो कि मध्यप्रदेश मंदसौर जिले के शामगढ़ क्षेत्र के चंदवासा गांव में है।

हरी-भरी खुबसुरत वादियों में एक छोटी सी पहाड़ी पर बना धर्मराजेश्वर मंदिर यहां आने वाले हर व्यक्ति का मन मोह लेता है। यहां मुख्य मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के साथ शिवलिंग विराजमान है। मुख्य मंदिर के इर्दगिर्द सात और छोटे मंदिर है। धर्मराजेश्वर मंदिर के ठीक नीचे पहाड़ी के नीचले छोर पर करीब 170 छोटी-बड़ी गुफाए है।

धर्म राजेश्वर मंदिर को लेकर पौराणिक मान्यता है कि पांडवों के अज्ञातवास काल के दौरान भीम ने इस मंदिर का निर्माण किया था। पांडवो में सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर को धर्मराज कहा जाता था, इसलिए इस मंदिर का नाम धर्मराजेश्वर हुआ। मंदिर मे भीम की गुफा भी है। इतिहासकारों का मानना है कि इस मंदिर का निर्माण 8 वीं शताब्दी में हुआ। हालाकि मंदिर के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है।

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में हर रोज सूर्य की पहली किरण शिवलिंग तक पहुंचती है। ये घटना सदियों से होती आ रही है। जो न केवल प्राकृतिक घटना है बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है।
खास बात ये है कि मुख्य मंदिर में भगवान विष्णुजी और शिवलिंग विराजमान है, जो एक हरिहर मंदिर को दर्शाता है।

जिन लोगों को शांत वातावरण पसंद है या जो लोग अधिक शांतिमय अनुभव चाहते है, उनके लिए धर्मराजेश्वर मंदिर आना एक सुखद एहसास और आध्यात्मिक सार से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है। धर्मराजेश्वर मंदिर के आसपास का एकांत, मंदिर की प्राचीन ऊर्जा के साथ मिलकर ध्यान और आत्मनिरीक्षण के लिए एक आदर्श स्थान प्रदान करता है। धर्मराजेश्वर मंदिर परिसर में कई प्राचीन गुफाएं है। जिनमें बौद्ध प्रतिमाएं है। कहते है इन गुफाओं में बौद्ध भिक्षुक रहा करते थे।