शराब ठेका घोटाले का दोषी रिटायर्ड आबकारी अधिकारी गिरफ्तार, लंबे समय से था फरार

भोपाल में वर्ष 2003 के चर्चित शराब ठेका फर्जीवाड़ा मामले में आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त उपायुक्त विनोद रघुवंशी को शाहपुरा पुलिस ने शुक्रवार को उनके निवास से गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। रघुवंशी को पहले जिला अदालत ने दोषी पाया था और अब उच्च स्तर पर सुनवाई के बाद सजा में वृद्धि की गई है।

अदालत का फैसला और सजा

इस मामले में 2023 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने विनोद रघुवंशी को तीन साल की सजा सुनाई थी। लेकिन बाद में अपील के दौरान 2025 में अदालत ने सजा बढ़ाकर चार साल की कैद कर दी। जब यह फर्जीवाड़ा हुआ था, उस समय रघुवंशी भोपाल में जिला आबकारी अधिकारी के पद पर तैनात थे।

फर्जीवाड़े की साजिश

जांच में यह सामने आया कि रघुवंशी ने एक फर्म को फायदा पहुँचाने के लिए रिकॉर्ड में छेड़छाड़ और नकली पार्टनरशिप डीड तैयार करवाई थी। इस साजिश के तहत फर्म के एक हिस्सेदार को अवैध तरीके से बाहर कर दिया गया और अन्य पार्टनर को अनुचित लाभ दिया गया।

फरियादी अजय अरोरा की शिकायत

यह मामला फरियादी अजय अरोरा की प्राइवेट शिकायत पर सामने आया था। अजय ने 5 मार्च 2002 को अशोक ट्रेडर्स नामक फर्म में 18% हिस्सेदारी के साथ पार्टनरशिप डीड पर दस्तखत किए थे। 6 मार्च 2002 को इस फर्म ने आबकारी ठेकों की नीलामी में हिस्सा लिया और नीलामी जीतने के बाद शराब व्यवसाय का लाइसेंस प्राप्त कर लिया।

फर्म से बाहर करने की चाल

अजय अरोरा के आरोपों के अनुसार, 6 मार्च 2003 को विनोद रघुवंशी और ओपी शर्मा ने नकली पार्टनरशिप डीड तैयार कर अजय को हिस्सेदारी से बाहर कर दिया। इसके बाद 6 से 11 मार्च 2003 के बीच भोपाल आबकारी कार्यालय के रिकॉर्ड में हेरफेर की गई और असली डीड की जगह नकली डीड लगाकर अजय का नाम हटा दिया गया। इस तरह आरोपी अधिकारियों ने फर्म के दूसरे पार्टनर को लाभ पहुँचाया।