भोपाल शहर को सोलर सिटी में कन्वर्ट करने का खाका सरकार ने तैयार कर लिया है। इसे जमीन पर उतारने की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। भविष्य में सोलर कॉलोनियां बनेंगी जिनमें जितना सोलर प्रोडक्शन होगा उतना ही ज्यादा निर्माण एरिया तय हो सकेगा। आसान भाषा में निजी डेवलपर अपनी कॉलोनी में बिजली आपूर्ति की 35 फीसदी व्यवस्था सोलर से करता है तो डेवलपर को निर्माण के लिए दस फीसदी अतिरिक्त एफएआर दिया जाएगा।
ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा
कॉलोनी में 80 फीसदी बिजली आपूर्ति सोलर से होती है तो 25 फीसदी अतिरिक्त निर्माण होगा। कॉलोनाइजर अतिरिक्त घर- दुकान बनाकर लाभ कमा सकेगा तो सोलर एनर्जी के नए प्रोजेक्ट से शहर में ग्रीन एनर्जी को मजबूती मिलेगी। शासन की नई टाउनशिप योजना में इसे तय किया गया है। एफएआर ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स के रूप में दिया जाएगा। सोलर एनर्जी के उपयोग को बढ़ाने के लिए ये प्रावधान है।
सार्वजनिक उपयोग की बिजली होगी सोलर
नई पॉलिसी में ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि नई विकसित कॉलोनियों में पार्क, मैदान, स्ट्रीट लाइट, जलापूर्ति सिस्टम से लेकर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और इसी तरह के उपयोग की बिजली सोलर से बने। नई कॉलोनियों को अनुमति में इसके लिए प्रावधान करने के लिए भी टीएंडसीपी के माध्यम से कहा जा रहा है।
900 मेगावाट के सोलर प्रोजेक्ट होगे स्थापित
भोपाल को सोलर सिटी के तौर पर विकसित करने शासन ने 900 मेगावाट के प्रोजेक्ट स्थापित करने का लक्ष्य दिया है। हालांकि अभी इसका पांच फीसदी भी प्राप्त नहीं किया जा सका। लक्ष्य प्राप्त होता है तो रोजाना शहर को 50 लाख यूनिट से अधिक बिजली नवीनकरणीय ऊर्जा वाली होगी। यानी कंपनी को परंपरागत तरीके वाली बिजली महज 30 लाख यूनिट ही चाहिए होगी।
कॉलोनाइजर को मिलेगा लाभ ही लाभ
सोलर एनर्जी से मिलने वाली टीडीआर सर्टिफिकेट डेवलपर अपने अन्य प्रोजेक्ट में अतिरिक्त आवासीय इकाइयां या दुकानें बनाने में कर सकता है। एक अनुपात दस फीसदी यानी यदि 1000 वर्गमीटर का प्लॉट है तो मौजूदा एफएआर के अलावा उसे दस फीसदी तक अतिरिक्त निर्माण का अधिकार मिलेगा। यदि किसी क्षेत्र का एफएआर एक है तो डेवलपर अपने 1000 वर्गमीटर प्लॉट पर इतना ही निर्माण कर सकता है। सोलर एनर्जी से मिले अतिरिक्त 0.10 एफएआर से उसे यहां 100 वर्गमीटर अधिक निर्माण का अधिकार मिलेगा।कॉलोनियों में सोलर एनर्जी उपयोग के अनुपात में अतिरिक्त निर्माण का अधिकार दिया जाएगा। इससे ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा। बिजली की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।