Navratri Special : आज शारदीय नवरात्रि का पहला दिन है। इस बार विशेष बात ये है कि नवरात्रि 10 दिनों तक चलेगी, जो कि एक दुर्लभ संयोग है। इस पावन अवसर पर नवरात्रि के पहले दिन उज्जैन के प्रसिद्ध हरसिद्धि मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु हरसिद्धी मातारानी के दर्शन करने आ रहे है।
मान्यता है कि ये मंदिर सम्राट विक्रमादित्य और महाकवि कालिदास की साधना स्थली रही है। मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान यहां शयन आरती नहीं होती है और गर्भ गृह में प्रेवश वर्जित रहता है। लेकिन रजत मुखौटे के विशेष दर्शन होते है।
पाराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पत्नी माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के कनखल में एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया था। इस यज्ञ में सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया था। जब माता सती वहां पहुंची तो उन्हें इस बात की जानकारी मिली। जब माता सती ने यज्ञ स्थल पर अपने पिता से भगवान शिव को ना बुलाने का कारण पूछा को दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर को लेकर अपशब्द कहे।
भगवान शिव का यह अपमान माता सती से सहन नहीं हुआ और उन्होंने स्वयं को यज्ञ की अग्नि में समर्पित कर दिया। जब भगवान शंकर को इसकी जानकारी मिली तो वे अत्यंत क्रोधित हुए। उन्होंने माता सती के मृत शरीर को उठाया और विक्षिप्त अवस्था में संपूर्ण पृथ्वी का चक्कर लगाने लगे। तब भगवान शिव को शांत करने और सृष्टि की मर्यादा को बनाए रखने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र चलाया, जिससे माता सती के शरीर के 51 टुकड़ हो गए।
जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। पौराणिक मान्यता है कि उज्जैन में जिस स्थान पर माता सती की कोहनी गिरी थी, वहां हरसिद्धी शक्तिपीठ की स्थापना हुई।हरसिद्धी मंदिर देवी के प्रमुख उपासना केंद्र में से एक माना जाता है।