ग्रामीण पीएम आवास योजना में बजट कम, 1.35 लाख रुपए में मकान अधूरा, कर्ज में फंसे हितग्राही

प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों को 1.35 लाख रुपए में घर बनाना कठिन हो गया है। तीन किस्तों में मिलने वाला बजट कम होने के कारण कई घरों की छत पूरी नहीं हो पाई है, तो कई जगह दीवारों पर प्लास्टर भी अधूरा रह गया है। वहीं, शहरी क्षेत्रों में इसी योजना में 2.50 लाख रुपए की राशि दी जाती है, जिससे शहरी लाभार्थियों के लिए घर बनाना अपेक्षाकृत आसान है। ग्रामीण क्षेत्रों में हितग्राहियों को ईंट, सीमेंट, सरिया जैसी सामग्री शहर से लानी पड़ती है, जिससे लागत बढ़ जाती है। इसके विपरीत शहरी क्षेत्र में सामग्री आसानी से उपलब्ध होने से अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ता।

ग्रामीण हितग्राहियों की शिकायत

ग्रामीणों का कहना है कि कम बजट की वजह से कई लाभार्थियों को रिश्तेदारों से पैसे उधार लेकर केवल दीवारें खड़ी करनी पड़ी हैं। तीसरी किस्त के आने का इंतजार है। ऐसे में कई घर अधूरे रह जाते हैं और कुछ लाभार्थी कर्ज में डूब जाते हैं। ग्रामीण चाहते हैं कि सभी को समान राशि दी जाए। पंच प्रतिनिधि शंकर निनामा, कालूसिंह रामचंद्र निनामा और अन्य ग्रामीणों ने बताया कि 1.35 लाख रुपए में पक्का मकान बनाना असंभव है। उनका कहना है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के हितग्राहियों को समान राशि मिलनी चाहिए।

निर्माण सामग्री की समस्या

मकान निर्माण में इस्तेमाल होने वाली सामग्री जैसे सीमेंट, ईंट और सरिया सभी के दाम एक जैसे हैं। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी दुकानें उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए शहर से सामग्री लाने के लिए अतिरिक्त भाड़ा देना पड़ता है। पंचायत आबा के 9 गांव और 3 मजरे में सामग्री लाने का खर्च भारी पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि इस कारण कई घरों का निर्माण अधूरा रह जाता है और उन्हें कर्ज लेना पड़ता है।

पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को ज्ञापन

कांग्रेस नेता मियाराम पाटीदार ने बताया कि ग्रामीण हितग्राहियों के समर्थन में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि शहर और ग्रामीण क्षेत्र के हितग्राहियों को समान रूप से 2.50 लाख रुपए की राशि दी जाए, जिससे ग्रामीणों को भी समान लाभ मिले।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

वहीं अधिकारियों ने कहा कि बाजार में किसी वस्तु के दाम अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन योजना के तहत दर पहले से तय है। योजना में निर्धारित राशि से अधिक देने का प्रावधान नहीं है।