हाईटेक होगी मध्यप्रदेश की पुलिस, सीखेगी साइबर क्राइम से निपटने के नुस्खे

अपराधी लगातार हाईटेक होकर साइबर क्राइम को अंजाम दे रहे है लेकिन पुलिसकर्मी इन अपराधों से लड़ने के लिए तैयार नहीं होते है जिसके चलते पीडितों को जल्द न्याय नहीं मिल पाता है। इससे निपटने के लिए पुलिस साइबर अपराध से निपटने के लिए तैयार हो रही है। आरक्षक से डीएसपी तक सभी को साइबर अपराध का पाठ पढ़ाया जाएगा।

नौ माह का होगा प्रशिक्षण
पुलिसकर्मीयों को नौ माह के मुख्य प्रशिक्षण में ध्योरी और प्रेक्टिकल  ज्ञान दिया जाएगा। इसमें क्रिप्टोकरेंसी, डार्क वेब, साइबर सुरक्षा जैसे विषय शामिल रहेंगे। अब तक आरक्षकों को सिर्फ बुनियादी बातें ही बताई जाती थीं। अब आरक्षकों को नियुक्ति के बाद नौ माह के मुख्य प्रशिक्षण में साइबर अपराध का पाठ दो भागों में पढ़ाया जाएगाा।

डिजिटल अरेस्ट को किया गया है कोर्स में शामिल
इस प्रशक्षिण में डिजिटल अरेस्ट होने पर तुरंत क्या करना है। केस स्टडीज को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। आरक्षकों को तैयार करने के पीछे धारणा यह है कि थाने या हेल्प डेस्क में पीड़ितों का पहला सामना आरक्षक या प्रधान आरक्षक से ही होता है।

साइबर हेल्प डेस्क है लंबित
प्रदेश सरकार हर जिले में एक साइबर थाना और हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क स्थापित करने जा रही है। इसका प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है। प्रत्येक थाने में कम से कम 70 पुलिसकर्मियों का बल होगा। इसी तरह से हेल्प डेस्क में अलग-अलग पाली में दो-तीन पुलिसकर्मियों की आवश्यकता होगी। साइबर अपराध और सुरक्षा की पढ़ाई कर पुलिस प्रशिक्षण केंद्रों से अगले वर्ष निकलने जा रहे आरक्षकों को यहां पदस्थ किया जा सकेगा। पुलिसकर्मी के दक्ष होने से अपराध की तह तक पहुंचना, अपराधी का नेटवर्क पता करना, ठगी की राशि की रिकवरी में आसानी हो जाएगी।

मध्य प्रदेश में इस तरह बढ़ा साइबर अपराध
राज्य में प्रतिवर्ष साइबर अपराध की लगभग पांच लाख शिकायतें आ रही हैं। मई 2021 से जुलाई 2025 के बीच प्रदेश के लोगों से 1054 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की गई, जबकि इसमें अभी तक लगभग दो करोड़ रुपये की राशि पीड़ितों को वापस मिल पाई है। लगभग आठ प्रतिशत राशि होल्ड है, जो कोर्ट के निर्णय के बाद पीड़ितों को मिल पाएगी। यानी, ठगी की 90 प्रतिशत राशि मिलने के आसार नहीं हैं।

ये विषय किए पाठ्यक्रम में शामिल
क्रिप्टोकरेंसी, डार्क वेब, साइबर सुरक्षा, ओपन सोर्स इंटेलिजेंस, मोबाइल सिक्यूरिटी, पासवर्ड सिक्यूरिटी, सुरक्षित ब्राउजिंग, इंटरनेट मीडिया, काल डिटेल रिकार्ड का विश्लेषण, आइपी लाग, सर्वर लाग, जीपीएस डेटा, कंप्यूटर/मोबाइल/नेटवर्क से डेटा रीस्टोर कैसे करें, साइबर ला, विभिन्न तरह के वायरस, डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं की पड़ताल आदि।