बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार उन्होंने ऐसा बयान दिया है, जिसने लोगों को चौंका दिया है। धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में बातचीत के दौरान कहा कि वे भूत-प्रेत और अलौकिक विषयों पर रिसर्च कर PhD करना चाहते हैं। उनका तर्क है कि दुनिया की कई यूनिवर्सिटीज में इस विषय पर पहले से शोध हो रहा है, ऐसे में भारत जैसे देश में, जहां धर्म और अध्यात्म की गहरी परंपराएं हैं, वहां इसे अकादमिक मान्यता मिलनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर मचा घमासान
शास्त्री के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त बहस छिड़ गई। समर्थक इसे उनका आध्यात्मिक आत्मविश्वास बता रहे हैं और मानते हैं कि इस पर रिसर्च जरूरी है। वहीं आलोचक इस बयान को महज सुर्खियां बटोरने की कोशिश बता रहे हैं। कुछ लोगों ने व्यंग्य करते हुए लिखा— “भूतों पर PhD तो हो गई, अब आत्माओं का इंटरव्यू भी हो जाए।” यह स्पष्ट है कि उनका बयान जनता को दो धड़ों में बांट रहा है—आस्था और तर्क।
धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक संकेत
विशेषज्ञों की मानें तो धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान केवल धार्मिक रिसर्च की बात नहीं करता, बल्कि कई संकेत भी देता है।
• पहला, यह उनकी लोकप्रियता बनाए रखने की रणनीति हो सकती है। असामान्य दावे करने से वे लगातार चर्चा में रहते हैं।
• दूसरा, यह धर्म और विज्ञान की पारंपरिक टकराहट को सामने लाता है। जब कोई धार्मिक नेता विज्ञान से बाहर की बात करता है तो बहस का नया दौर शुरू होता है।
• तीसरा, शास्त्री ने अपने बयान में “गजवा-ए-हिंद नहीं, भगवा-ए-हिंद चाहिए” जैसे राजनीतिक रंग भी जोड़ दिए, जिससे यह चर्चा केवल आध्यात्मिक नहीं बल्कि सामाजिक-राजनीतिक विमर्श भी बन गई।
क्या वास्तव में भूतों पर PhD होती है?
सबसे अहम सवाल यही है। सीधे तौर पर किसी यूनिवर्सिटी में “Ghost Studies” नाम से PhD नहीं होती। हालांकि, Parapsychology (पैरा-साइकोलॉजी) एक मान्यता प्राप्त विषय है, जिस पर कई विश्वविद्यालयों में शोध होते हैं। इसमें टेलीपैथी, आत्मा, परालौकिक घटनाएं, सपनों का अध्ययन और अलौकिक अनुभव जैसे विषय शामिल होते हैं। ब्रिटेन और अमेरिका में कुछ संस्थानों में यह शोध दशकों से चल रहा है।
एडिनबरा यूनिवर्सिटी का उदाहरण
ब्रिटेन की एडिनबरा यूनिवर्सिटी में Koestler Parapsychology Unit पिछले 50 सालों से इस क्षेत्र में रिसर्च कर रही है। यहां छात्रों को परालौकिक विषयों पर कोर्स करने का अवसर मिलता है। भूत-प्रेत, साइको क्षमता और शरीर से बाहर के अनुभव जैसे मुद्दों पर यहां अकादमिक स्तर पर अध्ययन होता है। हालांकि, यह विषय अब भी विवादित और सीमित दायरे में माना जाता है।
सांस्कृतिक मानवशास्त्र से भी संभव है सपना
धीरेंद्र शास्त्री का सपना सीधे तौर पर परासाइकोलॉजी से जुड़ा न भी हो तो वे Cultural Anthropology (सांस्कृतिक मानवशास्त्र) जैसे विषय से भी अपने विचारों को आगे बढ़ा सकते हैं। यह विषय मानव समाज, परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं और व्यवहार का गहन अध्ययन कराता है। इस क्षेत्र में हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड, कैंब्रिज और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में उच्चस्तरीय अध्ययन और शोध किया जा सकता है।
शास्त्री के बयान का संभावित असर
भारत जैसे देश में जहां धर्म और अलौकिक मान्यताओं को लेकर संवेदनशीलता गहरी है, वहां इस बयान का असर व्यापक हो सकता है। उनके अनुयायी इसे धार्मिक सत्यापन मानकर और अधिक दृढ़ आस्था से उनका समर्थन करेंगे। दूसरी ओर, शिक्षाविद और वैज्ञानिक इसे अंधविश्वास फैलाने वाला कदम मान सकते हैं। वहीं युवाओं पर इसका असर दोहरा हो सकता है—कुछ के लिए यह जिज्ञासा जगाने वाला, तो कुछ के लिए भ्रम फैलाने वाला साबित हो सकता है।