ग्वालियर- चंबल अंचल में अपनी पकड़ मजबुत करने के लिए भाजपा ने सिंधिया को भाजपा में शामिल किया था। क्योकि इस क्षैत्र के अधिकत्तर समर्थक विधायकों ने भाजपा का साथ दिया था। जब तक सिंधिया कांग्रेस में थे तब भाजपा की कमान सभालने का बीड़ा नरेन्द्र सिंह तोमर ने निभाया है। नरेन्द्र सिंह तोमर के दम पर ही चंबल क्षेत्र में भाजपा का परचम लहराया।
वर्तमान में भाजपा के वरिष्ठ नेता और केन्द्रिय मंत्री सिंधिया में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। जिसके चलते अब भाजपा में अंदरूनी खिंचतान सामने आने लगी है। लेकिन यह वर्चस्व की लड़ाई कही भाजपा के लिए भारी ना प़ड़
छोटी टोली से उपजा विवाद
भाजपा की नौ सदस्यीय छोटी टोली के गठन को लेकर ग्वालियर चंबल संभाग के नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष है। कार्यकर्ताओं का ऐसा कहना है कि इस टोली में ग्वालियर-चंबल अंचल के नेताओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि भाजपा में भीतरखाने बड़े नेताओं में आपसी मतभेद सामने आने लगे है।
कंट्रोल करने वाली टोली में ही असंतोष
प्रदेश और जिलों की कार्यकारिणी गठन के साथ निगम मंडलों में नियुक्तियों से पहले नेताओं के बीच समन्वय और गठन के बाद कार्यकर्ताओं के बीच उपजने वाली असंतोष की भावनाओं को कंट्रोल करने के लिए नौ सदस्यीय छोटी टोली अस्तित्व में आई है। इस टोली में मालवा व विंध्य का तो प्रतिनिधित्व नजर आ रहा है, लेकिन ग्वालियर-चंबल अंचल को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है।
सिंधिया समर्थकों का बढ़ते तेवर
अंचल की सड़कों को लेकर सिंधिया समर्थक मंत्रियों का मुख्यमंत्री के सामने मुखर होना। अंचल में प्रभुत्व को लेकर विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच छिड़ी रार के साथ भिंड जिले के विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह का भिंड के कलेक्टर और जिलाध्यक्ष के विवाद प्रमुख कारण हो सकता है।
पहले से गठित है कोर कमेटी
अंचल के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि संगठन के संचालन की दृष्टि से फौरी तौर पर थिंक टैंक माने जाने वाले नेताओं को एक साथ बैठने के लिए कोई नाम दिया जा सकता है, लेकिन सरकार और संगठनात्मक मसलों को सुलझाने व निर्णय करने के लिए पहले से कोर कमेटी गठित है। इस कमेटी में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर व पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पहले से शामिल हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने संवैधानिक पद पर होने के कारण कोर कमेटी से अवश्य दूरी बना ली है।
अनुशासनहीनता बढ़ने से यह हो सकता है नुकसान
अंचल में बड़े नेताओं के बीच छिड़े द्वंद और अनुशासनहीनता के बढ़ते मामलों से संगठन और सरकार में होने वाली नियुक्तियों में अंचल को नुकसान हो सकता है। संगठन का शीर्ष नेतृत्व विवाद और अंसतोष से बचने के लिए इन नियुक्तियों में दोनों अंचलों की नियुक्तियों को दरकिनार कर सकता है।