शारदीय नवरात्रि का पांचवा दिन मां स्कंदमाता की पूजा को समर्पित होता है। देवी दुर्गा का यह स्वरूप विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है। इन्हें भगवान कार्तिकेय (जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है) की माता होने के कारण “स्कंदमाता” नाम दिया गया है। मां स्कंदमाता की उपासना से भक्ति, शक्ति और ज्ञान का अद्भुत संगम प्राप्त होता है। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संतान से जुड़ी हर मनोकामना पूरी होती है।
आज का पंचांग और तिथि विवरण
27 सितंबर 2025, शनिवार के दिन पंचमी तिथि का विशेष महत्व है। आश्विन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि दोपहर 12 बजकर 3 मिनट तक रहेगी। इसके बाद षष्ठी तिथि का आरंभ होगा। प्रीति योग रात 11 बजकर 46 मिनट तक बना रहेगा। करण की बात करें तो दोपहर 12 बजकर 3 मिनट तक बालव करण और उसके बाद 28 सितंबर की रात 1 बजकर 16 मिनट तक कौलव करण रहेगा। यह समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है।
सूर्योदय, सूर्यास्त और ग्रह-स्थिति
इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 12 मिनट पर होगा और सूर्यास्त भी शाम 6 बजकर 12 मिनट पर ही रहेगा। चंद्रोदय सुबह 11 बजकर 1 मिनट पर होगा, जबकि चंद्रास्त रात 9 बजकर 15 मिनट पर रहेगा। ग्रहों की स्थिति के अनुसार, सूर्य कन्या राशि में स्थित रहेंगे और चंद्रमा वृश्चिक राशि में विराजमान रहेंगे।
शुभ और अशुभ समय की अवधि
धार्मिक कार्यों के लिए शुभ समय की गणना में आज का अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक है। इसके अलावा अमृत काल दोपहर 1 बजकर 26 मिनट से 3 बजकर 14 मिनट तक शुभ फल देने वाला रहेगा। अशुभ समय की बात करें तो राहुकाल सुबह 9 बजकर 12 मिनट से 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। इसी प्रकार गुलिक काल सुबह 6 बजकर 12 मिनट से 7 बजकर 42 मिनट तक और यमगण्ड काल दोपहर 1 बजकर 42 मिनट से 3 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
आज का नक्षत्र और उसकी विशेषताएं
इस दिन चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र में रहेंगे, जो देर रात 1 बजकर 8 मिनट तक प्रभावी रहेगा। अनुराधा नक्षत्र के जातक समाज में प्रतिष्ठित माने जाते हैं। यह नक्षत्र साहस, पराक्रम और बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। इसकी छाया में जन्मे लोग मेहनती, आकर्षक व्यक्तित्व वाले और विपरीत लिंग के प्रति सहज रूप से आकर्षित होते हैं। इनमें आत्मकेंद्रित और कभी-कभी आक्रामक प्रवृत्ति भी देखी जाती है।
नक्षत्र और इसके देवता
अनुराधा नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है, जबकि इसकी राशि वृश्चिक होती है, जिसका स्वामी मंगल ग्रह है। इस नक्षत्र के देवता मित्रता के देवता माने जाते हैं, इसलिए यह नक्षत्र मेल-जोल बढ़ाने और संबंधों में संतुलन बनाए रखने वाला माना जाता है। इसका प्रतीक एक फूल है, जो जीवन में पवित्रता और सादगी का संदेश देता है।