पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात तनावपूर्ण हैं। अवामी एक्शन कमेटी के नेतृत्व में हज़ारों लोग सड़क पर उतरकर राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं। कोटली में पुलिस-प्रदर्शनकारियों की झड़प के बाद गुस्सा भड़क गया। सोमवार को ‘शटर डाउन’ हड़ताल से जीवन अस्त-व्यस्त होने की आशंका है।
सरकार के खिलाफ जनता
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। हजारों लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं और बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।आज वहां पर ‘शटर डाउन और व्हील जाम’ हड़ताल का ऐलान किया गया है। यह आंदोलन अवामी एक्शन कमेटी (AAC) के नेतृत्व में चल रहा है, जो लंबे समय से लंबित राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की मांग कर रही है।
सेना ने चलाई गोलियां कई लोग घायल
शनिवार 27 सितंबर को कोटली में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सैनिकों ने गोलियां चलाईं और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। जिसमें कई लोग घायल हुए है। स्थानीय प्रशासन ने पुलिसकर्मियों के भी जख्मी होने की पुष्टि की। इस आक्रामक रवैये ने जनता के गुस्से को और भड़का दिया, जिससे गहराई तक बैठे असंतोष की झलक साफ दिखाई दी।
सरकार से प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
अवामी एक्शन कमेटी (AAC) ने 38 सूत्री मांगपत्र पेश किया है, जिसमें संरचनात्मक सुधारों पर जोर दिया गया है।
पीओके विधानसभा में पाक में रह रहे शरणार्थियों के लिए आरक्षित 12 सीटें खत्म की जाएं।
स्थानीय समुदायों को सस्ती आटे की आपूर्ति सुनिश्चित हो।
मंगला हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े बिजली दरें न्यायसंगत हों।
इस्लामाबाद द्वारा लंबे समय से लंबित सुधार तुरंत लागू हों।
आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा?
AAC के वरिष्ठ नेता शौकत नवाज मीर ने मुजफ्फराबाद में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा अभियान किसी संस्था के खिलाफ नहीं है। यह बुनियादी अधिकारों के लिए है, जो हमें 70 वर्षों से नहीं मिले। अब बहुत हो चुका। हमें या तो अधिकार दीजिए या जनता के गुस्से का सामना कीजिए। नीलम वैली पब्लिक एक्शन कमेटी, मीर के नेतृत्व में सोमवार को पूर्ण बंद का आह्वान कर चुकी है।
सरकार और सेना का रुख
इस्लामाबाद और पाकिस्तानी सेना ने हालात काबू करने के लिए बल प्रयोग के संकेत दिए हैं। सूत्रों के अनुसार फ्लैग मार्च और अतिरिक्त तैनाती की योजना बनाई जा रही है। कई इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। लंबे समय से उपेक्षा और भ्रष्टाचार से परेशान लोग सरकार पर स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और स्वच्छ पानी जैसी आवश्यक सुविधाओं से वंचित करने का आरोप लगा रहे हैं। वकील और नागरिक संगठन आंदोलन को लोकतांत्रिक अधिकार बता रहे हैं। उनका कहना है कि दमन से समस्या हल नहीं होगी।
हालात हो सकते हैं गंभीर
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस्लामाबाद और सेना ने संवेदनशीलता के साथ शिकायतों का समाधान नहीं किया, तो हालात गंभीर संकट में बदल सकते हैं। इसे बलूचिस्तान जैसे अलगाववादी आंदोलनों से जोड़ा जा रहा है, जिससे पाकिस्तान के रणनीतिक इलाकों की स्थिरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सोमवार की हड़ताल से पूरे पीओके में जीवन अस्त-व्यस्त होने की आशंका है। दुकानें बंद रहेंगी और परिवहन ठप रहेगा। यदि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत नहीं हुई तो हालात और बिगड़ सकते हैं।