Diwali 2025: कब है दिवाली, जानें धनतेरस से भाई दूज तक सभी त्योहारों की तिथियां और उनका महत्व

हर साल अक्टूबर का महीना परिवारों और बच्चों के लिए उत्साह से भरा होता है। इस समय मौसम में हल्की ठंडक शुरू हो जाती है और त्योहारों का रंग वातावरण में घुल जाता है। खासतौर पर दिवाली, जिसे रोशनी और खुशियों का पर्व कहा जाता है, पूरे देश को एक नई ऊर्जा से भर देता है। साल 2025 में दिवाली और भी खास रहने वाली है क्योंकि यह लगातार पांच दिनों तक धूमधाम से मनाई जाएगी। हर दिन का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो इस पर्व को और अधिक खास बनाता है।

धनतेरस – 18 अक्टूबर 2025

दिवाली की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस दिन लोग परंपरा के अनुसार सोना, चांदी, बर्तन या कीमती सामान खरीदते हैं। माना जाता है कि इस दिन किया गया ख़रीदारी घर में सुख-समृद्धि और शुभता लाती है। यही वजह है कि बाजारों में इस दिन भारी भीड़ देखने को मिलती है। परिवार के लोग नए सामान को घर लाकर भगवान धन्वंतरि और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी – 19 अक्टूबर 2025

धनतेरस के अगले दिन आती है छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। यह दिन उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है जब भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध कर देवताओं और मनुष्यों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। इस दिन घरों में दीप जलाए जाते हैं और लोग अपने घर को साफ-सुथरा और सजाकर छोटी दिवाली का स्वागत करते हैं। इसे बुरी शक्तियों पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।

दिवाली का मुख्य दिन – 20 अक्टूबर 2025

दिवाली का सबसे महत्वपूर्ण और मुख्य दिन 20 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। घरों को दीपकों की पंक्तियों, रंगोली और रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है। रात को लक्ष्मी-गणेश पूजन के बाद परिवारजन एकत्र होकर मिठाइयां बांटते हैं और आतिशबाजी करते हैं। यह दिन धन, वैभव और खुशियों का प्रतीक माना जाता है।

गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर 2025

दिवाली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा या अन्नकूट का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर वृंदावनवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाया था, उसकी स्मृति में पूजा की जाती है। इस मौके पर घर और मंदिरों में अन्नकूट यानी तरह-तरह के शाकाहारी व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। यह पर्व प्रकृति और अन्न के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर है।

भाई दूज – 23 अक्टूबर 2025

दिवाली का अंतिम दिन भाई दूज कहलाता है। यह दिन भाई और बहन के रिश्ते को मजबूत करने वाला त्योहार है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए तिलक करती हैं, वहीं भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते की मिठास और प्रेम का प्रतीक है।

दिवाली का गहरा सांस्कृतिक महत्व

दिवाली सिर्फ दीपक जलाने या मिठाइयां बांटने का त्योहार नहीं है। इसका हर दिन अलग-अलग संदेश और महत्व लिए होता है। जहां एक ओर यह त्योहार परिवार को जोड़ता है, वहीं दूसरी ओर यह धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। इन पांच दिनों में रिश्तों की मजबूती, मिलनसारिता और खुशियों का साझा अनुभव हर किसी के जीवन को यादगार बना देता है।