इंदौर में शुक्रवार रात मौसम ने अचानक करवट ली और देर रात से तेज बारिश ने पूरे शहर को भिगो दिया। शहर के पूर्वी इलाकों में रात करीब 11 बजे से बारिश शुरू हुई, जबकि लगभग एक घंटे बाद पश्चिमी हिस्से में भी तेज बारिश ने दस्तक दी। रातभर लगातार हुई बारिश के चलते शनिवार सुबह 8:30 बजे तक कुल 114.6 मिमी (करीब 4 इंच) वर्षा रिकॉर्ड की गई। यह बारिश न केवल इस साल की बल्कि पिछले दस साल में अक्टूबर महीने में हुई सबसे भारी बारिश मानी जा रही है। आज सुबह भी आसमान पर घने बादल छाए हुए हैं और मौसम वैज्ञानिकों ने आने वाले समय में भी बारिश की संभावना जताई है।
अक्टूबर में असामान्य बारिश
आमतौर पर इंदौर में अक्टूबर के पहले सप्ताह तक मानसून विदा हो जाता है और इस महीने बादलों की संख्या कम रहती है। मौसम विभाग के अनुसार, इस माह का औसत अधिकतम तापमान 32.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 18.2 डिग्री सेल्सियस रहता है। सामान्यतः अक्टूबर में केवल 28.7 मिमी बारिश दर्ज होती है और लगभग 2-3 दिन ही वर्षा होती है। लेकिन इस बार बंगाल की खाड़ी से बना चक्रवाती सिस्टम आंध्र तट को पार करते हुए इंदौर तक सक्रिय हो गया। इसके कारण सामान्य से कई गुना अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई।
कई इलाकों में जलभराव और यातायात पर असर
अचानक हुई भारी बारिश से शहर के कई हिस्सों में पानी भर गया। सड़कों पर जलभराव के कारण यातायात प्रभावित हुआ और सुबह के समय उमस और आर्द्रता की वजह से मौसम असुविधाजनक बना रहा। मध्य प्रदेश के पूर्वी जिलों में भी शनिवार को तेज बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं, इंदौर में भी आज हल्की से मध्यम बारिश की आशंका है। कुछ जिलों में बूंदाबांदी के दौर की शुरुआत रविवार से हो सकती है।
डीप डिप्रेशन और चक्रवात का असर
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, पिछले दो दिनों में प्रदेश के कई जिलों में तेज बारिश का मुख्य कारण डीप डिप्रेशन और साइक्लोनिक सर्कुलेशन (चक्रवात) का सक्रिय होना है। इसी सिस्टम के कारण इंदौर में भी भारी बारिश हुई और यह सिस्टम शनिवार को भी एक्टिव रह सकता है। इस वजह से मौसम विभाग ने चार जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
मानसून की विदाई और आगामी मौसम
प्रदेश के 12 जिलों से मानसून पहले ही विदा हो चुका है। इनमें ग्वालियर, श्योपुर, मुरैना, भिंड, दतिया, शिवपुरी, गुना, आगर-मालवा, नीमच, मंदसौर और रतलाम शामिल हैं। वहीं, राजगढ़ और अशोकनगर के कुछ हिस्सों से भी मानसून विदा हो गया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि पूरे प्रदेश से मानसून 10 अक्टूबर तक पूरी तरह विदा हो जाएगा। इस साल मानसून ने मध्य प्रदेश में 16 जून को दस्तक दी थी और एक दिन बाद प्रदेश में प्रवेश कर गया था। मौसम विभाग के अनुसार, नया सिस्टम बनने के कारण मानसून की अंतिम विदाई की तारीख थोड़ा आगे बढ़ सकती है।