कफ सिरप कांड में बड़ी कार्रवाई, बच्चों की मौत के मामले में डॉक्टरों को आधी रात छिंदवाड़ा से किया गिरफ्तार

मध्यप्रदेश और राजस्थान में बीते कुछ दिनों में कफ सिरप पीने से 12 मासूम बच्चों की मौत हो गई है। इनमें सबसे ज़्यादा मामले मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा ज़िले से सामने आए हैं। इस दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित कफ सिरप बनाने वाली कंपनी पर बैन लगा दिया है। वहीं अब इस मामले में पहली गिरफ्तारी भी हो गई है।

डॉक्टर की गिरफ्तारी से खुला बड़ा राज़

छिंदवाड़ा पुलिस की विशेष टीम ने परासिया क्षेत्र के डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि डॉक्टर सोनी ने अपने क्लीनिक में बच्चों को वही सिरप दिया था, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ी और बाद में उनकी मौत हो गई। डॉक्टर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट की कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। उन्हें देर रात छिंदवाड़ा के राजपाल चौक से हिरासत में लिया गया।

घातक साबित हुआ कफ सिरप ‘Coldrif’ और ‘Nestro DS’

पुलिस जांच में सामने आया कि डॉक्टर ने बच्चों को Coldrif और Nestro DS सिरप दिया था। ये दवाएं कथित तौर पर इतनी खतरनाक साबित हुईं कि कई बच्चों की किडनी फेलियर और इन्फेक्शन से मौत हो गई। मरने वाले बच्चों की उम्र महज एक से पांच साल के बीच थी। कई अन्य बच्चे अब भी बीमार हैं और उनका इलाज जारी है।

तमिलनाडु में बनी दवा, एमपी में मौतें

जानकारी के मुताबिक, कोल्ड्रिफ सिरप का निर्माण तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित एक कंपनी कर रही थी। इसी दवा के सेवन से पिछले 27 दिनों में मध्यप्रदेश में 11 बच्चों की जान चली गई। पहले तमिलनाडु सरकार ने इस दवा पर रोक लगाई थी, और अब मध्यप्रदेश ने भी इसे पूरी तरह बैन कर दिया है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव की सख्त चेतावनी और राहत की घोषणा

मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने घोषणा की है कि जिन परिवारों ने अपने बच्चों को खोया है, उन्हें 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके अलावा जो बच्चे अभी बीमार हैं, उनके इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने सख्त लहजे में कहा — “दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”

केंद्र सरकार की देशभर में एडवाइजरी जारी

इन घटनाओं के बाद केंद्र सरकार ने भी राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी हालत में कफ सिरप न दिया जाए। वहीं, दो साल से ऊपर के बच्चों को अगर सिरप दिया भी जाए, तो डॉक्टर की सलाह और सावधानी के साथ ही दिया जाए।

देशभर में बढ़ी चिंता, जांच में जुटी टीमें

अब यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया है। देशभर में कफ सिरप के सैंपल की जांच शुरू हो गई है। कई राज्य सरकारें अपने यहां बिकने वाली दवाओं की गुणवत्ता की दोबारा जांच करवा रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में दवाओं की लैब टेस्टिंग और निर्माण प्रक्रिया की निगरानी बेहद ज़रूरी है ताकि भविष्य में मासूमों की जान इस तरह की लापरवाही से न जाए। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि बच्चों की दवाओं की सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली में अब भी कितनी बड़ी खामियां हैं। सरकार ने भले ही त्वरित कार्रवाई की हो, लेकिन अब ज़रूरत है कि ऐसे हादसों की जड़ तक जाकर जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।