छिंदवाड़ा जिले में परासिया के सिविल अस्पताल में पदस्थ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर प्रवीण सोनी ने अपनी सरकारी अस्पताल में देने वाली सेवाओं से 15 दिन का अवकाश लिया था। अवकाश के दिनों में वह अपना निजी क्लीनिक में मुंह मांगी फीस लेकर बच्चों का इलाज कर रहे थे. यह लालच यहीं नहीं थमा था पैसा कमाने की होड़ में डॉक्टर ने अपनी पत्नी के नाम से रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर “अपना मेडिकल” भी खौल रखा था।
अत्यधिक मंहगा था कफ सिरप
मेडिकल स्टोर पर यह सिरप ऑनलाइन खरीदने पर 20 एमएल की बॉटल लगभग
235 रूपए में बेची जा रही थी। जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि दवा कंपनी श्रीसन इस पर मोटा मुनाफा दे रही थी। जिसके चलते डॉक्टर प्रवीण सोनी धडल्ले से बच्चों को यह सिरप लिख रहे थे। छिंदवाड़ा में किडनी इन्फेक्शन से जिन नौ बच्चों की मौत हुई है उनमें से 7 बच्चों का इलाज डॉक्टर प्रवीन सोनी के क्लीनिक में हुआ था. और सभी को कोल्डरिफ और नेस्ट्रो डीएस दवाइयां दी गई थीं.
14 बच्चे अभी भी है भर्ती
कफ सिरप के मामले में परासिया के बीएमओ ने पुलिस थाना परासिया में दर्ज की एफआईआर श्रीसन कंपनी, जो कि एक दवा निर्माता कंपनी है के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। इसके साथ ही दवा की पर्ची लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ दर्ज हुई है। डॉक्टर ने प्रवीण सोनी से इलाज लेने वाले 14 और ऐसे बच्चे हैं जिन्होंने यहीं दवा दी गई थी उनका भी इलाज जारी है। सबसे ज्यादा बच्चों के उपचार के लिए इसी डाक्टर ने दवा लिखी थी।
प्रायवेट क्लिनिक चलाने पर क्यों नही लिया एक्शन
सरकारी सिविल अस्पताल का शिशु रोग विशेषज्ञ इतनी लंबी छुट्टी लेकर अपना प्रायवेट क्लीनिक चला रहा था। इसके साथ ही मेडिकल भी खोल रखा था लेकिन बीएमओ ने अब तक इस पर कोई एक्शन नहीं लिय़ा। इससे यह भी पता चलता है कि वह सरकार की तनख्वा लेने के बाद भी सरकारी अस्पताल में बच्चों का इलाज नहीं कर रहा था।