MP Tourism: आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश सुंदरता के मामले में जरा भी कम नहीं है। मप्र ये अपने भीतर कई नेचुरल चीजों को समाए हुए हैं। यहां पर दूर-दूर से टूरिस्ट घूमने के और छुट्टियां मनाने के लिए आते हैं। मध्यप्रदेश में बड़े-बड़े झरनों के साथ ही कई चर्चित हिल स्टेशन भी उपस्थित हैं जहां का नजारा एक बार में ही लोगों का मन मोह लेता है यहां पर हमेशा ही पर्यटकों की भीड़ देखने को मिलती है।
ऐसे में अगर आप भी मध्यप्रदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं तो आज हम आपको मध्यप्रदेश की उन लोकप्रिय जगहों के विषय में बताने जा रहे हैं। जिनके बिना आपका सफर इनकंप्लीट माना जा सकता हैं। वैसे तो मध्यप्रदेश में देखने के लिए काफी कुछ है। लेकिन आज हम आपको प्रदेश के कुछ ऐसे विश्व प्रसिद्ध हिल स्टेशन के विषय में बताने जा रहे हैं। जो एक ही बार में आपका दिल जीत लेंगे।
आपको उज्जैन की एक ऐसी जगह के बारे में बताते हैं जिसका भगवान श्री कृष्ण से गहरा रिश्ता है। मौजूद सांदीपनि आश्रम (Sandipani Aashram) में भगवान ने अपने भाई बलराम और दोस्त सुदामा के साथ पढ़ाई की थी। अंकपात क्षेत्र में बने हुए इस आश्रम में आज भी इन तीनों की गुरु सांदीपनि से शिक्षा लेते हुए मूर्तियां विराजित है। कहा जाता है कि 64 कलाएं श्री कृष्ण ने यहीं से सीखी थी।
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कथाओं के मुताबिक द्वापर युग में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया था। जिसके बाद मथुरा में यज्ञोपवित संस्कार होने के बाद पिता को उनकी शिक्षा की चिंता सता रही थी। उन्हें सांदीपनि व्यास जी के बारे में पता चला और मालूम हुआ कि वह एक विद्वान और शिव उपासक है। उन्होंने तय किया कि वह श्री कृष्ण और बलराम को शिक्षा लेने के लिए महर्षि सांदीपनि के आश्रम में भेजेंगे।
कंध पुराण में यह भी बताया गया है कि महर्षि सांदीपनि रोजाना स्नान के लिए गोमती नदी पर जाया करते थे। यह देखकर भगवान श्री कृष्ण ने उनसे एक दिन कहा कि आप स्नान के लिए इतनी दूर क्यों जाते हैं मैं गोमती माता का जल आपके लिए यही पर प्रकट कर देता हूं। पश्चात अपने गुरु को प्रणाम कर श्री कृष्ण ने धनुष बाण उठाया और गोमती मां का आवाहन करते हुए इतनी तेजी से धरती की और बाण को छोड़ा कि वहां बहुत गहरा गड्ढा हो गया। बताया जाता है कि बाण पाताल लोक तक गया और नीचे जाकर इस गड्ढे ने गाय के मुख का स्वरूप ले लिया और इसमें से जल धारा बहने लगी। देखते ही देखते यह जलाशय में परिवर्तित हो गया और इसे गोमती कुंड नाम दे दिया गया। कुंड में आज भी श्रीकृष्ण की चरण पादुका और चरणों के निशान देखे जा सकते हैं।
उस समय उज्जैन को अवंतिका के नाम से जाना जाता था और यहां पर राजमाता देवीराजा जयसिंह की पत्नी का शासन था। वासुदेव उन्हें अपनी मुंहबोली बहन कहते थे इस हिसाब से वह श्री कृष्ण की बुआ थी। लगभग 5266 साल पहले श्री कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ पैदल मथुरा से उज्जैन पहुंचे। उस समय उनकी उम्र 11 साल 7 दिन थी। 64 दिनों तक उन्होंने महर्षि सांदीपनि से 64 कलाएं सीखी। 4 दिन में चार वेद 16 दिन में 16 विधाएं 6 दिन में छह शास्त्र 18 दिन में 18 पुराण और 20 दिन में उन्होंने गीता का समस्त ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
अगर आप भी श्रीकृष्ण की इस शिक्षा स्थली का दीदार कर सकते हैं तो हवाई मार्ग से इंदौर यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। यहां से दिल्ली, मुंबई, जयपुर, हैदराबाद, पुणे और भोपाल की नियमित उड़ानें मिलती है। एयरपोर्ट से 55 किलोमीटर का सफर तय करके उज्जैन पहुंचा जा सकता है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर की दूरी पर अंकपात क्षेत्र स्थित है और इसी क्षेत्र में सांदीपनि आश्रम बना हुआ है।