एमपी में आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका, 159 कार्यकर्ताओं ने दिया सामूहिक इस्तीफा

मध्यप्रदेश की राजनीति में इस वक्त आम आदमी पार्टी (AAP) मुश्किल दौर से गुजरती नजर आ रही है। प्रदेश में पार्टी को तब बड़ा झटका लगा जब उज्जैन जिले के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने एक साथ पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया। बताया जा रहा है कि यह इस्तीफे जातिगत भेदभाव और संगठन के अंदर उत्पन्न असंतोष के कारण हुए हैं। कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि पार्टी के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों के व्यवहार से वे बेहद आहत हैं, जिसके चलते उन्होंने यह कठोर कदम उठाया।

प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश गंगे का निष्कासन बना विवाद की जड़

पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष नरेश गंगे ने बताया कि प्रदेश प्रभारी द्वारा बिना किसी कारण नोटिस दिए उन्हें निष्कासित कर दिया गया। उनका आरोप है कि यह कार्रवाई जातिगत भेदभाव के चलते की गई है। गंगे ने कहा कि यह सिर्फ उनके साथ नहीं बल्कि संगठन के कई समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ भी अन्याय हुआ है। उनका कहना है कि पार्टी के सिद्धांतों और “ईमानदार राजनीति” की सोच से हटकर इस तरह की कार्रवाई बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

लगातार बढ़ रहा असंतोष, कार्यकर्ताओं का गुस्सा फूटा

नरेश गंगे के समर्थन में पहले ही पिछले सप्ताह 55 कार्यकर्ताओं ने सामूहिक त्यागपत्र दिया था, लेकिन अब यह आंकड़ा और बढ़ गया है। ताजा घटनाक्रम में 159 कार्यकर्ताओं ने एक साथ इस्तीफे राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने संगठन के लिए वर्षों तक मेहनत की, लेकिन अब उन्हें अपमानित किया जा रहा है।

भेदभाव करने वाले पदाधिकारी पर कार्रवाई की मांग

पूर्व घट्टिया विधानसभा प्रभारी उमेश गुजराती ने भी निष्कासन को “अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है। उन्होंने कहा कि अगर पार्टी वास्तव में समानता और पारदर्शिता में विश्वास रखती है, तो उसे तुरंत जातिगत भेदभाव करने वाले पदाधिकारी को निलंबित करना चाहिए। गुजराती ने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी की साख कार्यकर्ताओं के समर्पण से ही बनती है, और अगर उन्हीं के साथ अन्याय होगा तो संगठन की जड़ें कमजोर होंगी।

राजनीतिक असर और आगे की राह

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उज्जैन से उठी यह बगावत प्रदेश में AAP के संगठनात्मक ढांचे को हिला सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले ऐसी घटनाएं पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती हैं। वहीं, इस्तीफा देने वाले कार्यकर्ताओं ने साफ किया है कि वे भविष्य में “सम्मान और समानता” की राजनीति के लिए किसी नए मंच की तलाश करेंगे।

यह विवाद अब केवल संगठनात्मक मसला नहीं रहा बल्कि यह सवाल खड़ा कर रहा है कि क्या आम आदमी पार्टी मध्यप्रदेश में अपनी “स्वच्छ राजनीति” की छवि को बनाए रख पाएगी या नहीं।