Bhai Dooj : भारत में भाई-बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। इसी प्रेम को समर्पित दो खास त्योहार हर साल मनाए जाते हैं। रक्षाबंधन और भाई दूज। पहले में बहन भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, जबकि दूसरे में भाई बहन के घर जाकर तिलक करवाता है। दोनों का मकसद एक ही, भाई-बहन के स्नेह को मजबूत करना, लेकिन इन्हें मनाने का तरीका और इनकी कहानी अलग है।
कब मनाया जाएगा भाई दूज 2025 में?
रक्षाबंधन इस साल 9 अगस्त 2025 को मनाया गया था। वहीं भाई दूज का पर्व 23 अक्टूबर 2025 (गुरुवार) को मनाया जाएगा। यह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। तिथि 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे शुरू होकर 23 अक्टूबर की रात 10:46 बजे तक रहेगी। भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:13 बजे से 3:28 बजे तक रहेगा।
रक्षाबंधन बनाम भाई दूज: क्या है अंतर?
भाई दूज और रक्षाबंधन दोनों ही भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक पर्व हैं, लेकिन इन्हें मनाने का तरीका और इनकी परंपराएं अलग-अलग हैं। भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जबकि रक्षाबंधन सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
भाई दूज पर बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती है, वहीं रक्षाबंधन पर बहन भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी रक्षा का वचन लेती है। इस दिन भाई अपनी बहन को उपहार देकर उसके प्रति स्नेह और जिम्मेदारी का भाव प्रकट करता है।
भाई दूज के दिन भाई बहन के घर जाता है, और बहन उसे भोजन कराती है, जबकि रक्षाबंधन के अवसर पर बहन भाई के घर जाकर राखी बांधती है और भाई उसे मिठाई खिलाता है।
भाई दूज का महत्व
भाई दूज दीवाली के अगले दिन मनाया जाता है। यह दिन बहनों के प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक होता है। कहते हैं कि इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने भाई का स्वागत तिलक लगाकर और स्वादिष्ट भोजन कराकर किया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसके भाई की आयु लंबी होगी और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहेगी।
रक्षाबंधन का अर्थ
रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई वचन देता है कि वह अपनी बहन की रक्षा हर परिस्थिति में करेगा। यह पर्व रक्षा, स्नेह और विश्वास का प्रतीक है। राखी का धागा सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि एक अटूट बंधन का वचन होता है।
दोनों त्योहारों का सार एक ही
भले ही रक्षाबंधन और भाई दूज अलग-अलग समय पर मनाए जाते हैं, लेकिन दोनों का संदेश एक ही है। भाई और बहन का रिश्ता सिर्फ खून से नहीं, भावनाओं और प्रेम से जुड़ा होता है। राखी में जहां बहन रक्षा का वचन लेती है, वहीं भाई दूज में वह भाई की लंबी उम्र की दुआ करती है।