गुजरात में सत्ता के गलियारों में हलचल तेज हो गई है। बिहार चुनाव की सरगर्मी के बीच भूपेंद्र पटेल सरकार में मंत्रिमंडल फेरबदल की तारीख तय हो गई है। सूत्रों के अनुसार, 17 अक्टूबर को नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि इस फेरबदल में हाल ही में भाजपा में शामिल हुए और विधानसभा चुनाव जीतने वाले विधायकों को भी मौका मिल सकता है।
कब और क्यों हो रहा यह फेरबदल
यह फेरबदल सरकार के लगभग तीन साल पूरे होने के मौके पर किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह बदलाव राज्य में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों (नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और तालुका पंचायत) से कुछ ही महीने पहले हो रहा है। सरकार और पार्टी के सूत्रों का कहना है कि नए मंत्रियों के नाम गुरुवार देर रात या शुक्रवार की सुबह तक सार्वजनिक हो सकते हैं।
गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट बैठक में संभावित रूप से उन मंत्रियों से इस्तीफा मांगा जाएगा जिन्हें हटाया जाना है या जिनके विभाग बदले जाएंगे। वरिष्ठ भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि जिन मंत्रियों को हटाया जाएगा, उन्हें पार्टी संगठन में किसी पद पर तैनात किया जा सकता है ताकि उनके अनुभव का उपयोग संगठन के काम में किया जा सके।
नए मंत्रियों और पुराने मंत्रियों का समीकरण
नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा अपनी मुख्य टीम के नामों को अंतिम रूप दे रहे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ‘एक व्यक्ति, एक पद’ के नियम के तहत विश्वकर्मा से भी मंत्री पद से इस्तीफा देने की उम्मीद है, ताकि राज्य के सहकारिता विभाग में नया मंत्री नियुक्त किया जा सके। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मंत्रिमंडल में आधा से अधिक बदलाव संभव है।
हटाए जा सकते हैं कुछ मंत्री
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कुछ मंत्रियों को हटाना तय माना जा रहा है। इनमें शामिल हैं:
• बाचू खाबड़ – उनके बेटों का नाम मनरेगा से जुड़े घोटाले में आया था।
• भीखूसिंहजी परमार – उनके परिवार पर पोंजी स्कीम से जुड़े आरोप लगे थे।
सूत्रों का कहना है कि जिन पर किसी तरह के विवादित आरोप हैं, उन्हें हटाना प्राथमिकता में है।
कांग्रेस से आए विधायकों को भी मिल सकता है मौका
राजनीतिक अटकलें यह भी लगाई जा रही हैं कि हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए विधायकों को भी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। यह कदम पार्टी की ताकत को विधानसभा में और मजबूत बनाने के लिए उठाया जा सकता है। इसके साथ ही नए नामों को शामिल कर सरकार की टीम को लोक और संगठन दोनों दृष्टि से संतुलित किया जा सकेगा।